देहरादून : देहरादून में नशे के खिलाफ पुलिस का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। मादक पदार्थों की तस्करी पर लगाम लगाने के लिए दून पुलिस ने एक और बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। थाना सेलाकुई क्षेत्र में पुलिस ने सागर पोखरियाल नाम के एक नशा तस्कर को गिरफ्तार किया, जिसके पास से 2 किलो 64 ग्राम अवैध गांजा बरामद हुआ।
यह घटना 24 फरवरी 2025 की है, जब पुलिस ने मुखबिर की सूचना के आधार पर सारना नदी के किनारे राजा ढाबे के पास चेकिंग के दौरान उसे धर दबोचा। अभियुक्त के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/20 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। क्या यह कार्रवाई वाकई नशे के कारोबार को जड़ से खत्म कर पाएगी? हर किसी के मन में है यह सवाल।
पुलिस पूछताछ में सागर ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने बताया कि वह मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के ग्राम जुई का रहने वाला है। रोजगार की तलाश में देहरादून आया था, लेकिन गलत संगत में पड़कर खुद नशे का शिकार हो गया। जल्दी पैसे कमाने की लालच में उसने गांजे की तस्करी शुरू की।
सागर का कहना है कि वह कम कीमत पर गांजा खरीदता था और उसे सेलाकुई के औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों और शिवनगर बस्ती में ऊंचे दामों पर बेचता था। इस धंधे से वह अपनी नशे की लत को पूरा करने के साथ-साथ मुनाफा भी कमाता था। उसकी यह कहानी नशे की दुनिया में फंसते युवाओं की एक कड़वी सच्चाई को उजागर करती है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के “ड्रग्स फ्री देवभूमि 2025” विजन को साकार करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून ने सभी थानों को सख्त निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों में नशा तस्करों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की बात कही गई है। इसी कड़ी में जनपद के सभी थाना क्षेत्रों में लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
सेलाकुई पुलिस की यह सफलता इसी अभियान का हिस्सा है। पुलिस टीम में शामिल उपनिरीक्षक बबीता रावत, कांस्टेबल शीशपाल, फरमान, प्रवीण और चालक संदीप ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसी छिटपुट कार्रवाइयां नशे के पूरे जाल को तोड़ पाएंगी?
नशे का यह कारोबार केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा नेटवर्क है जो समाज के हर कोने को प्रभावित कर रहा है। सागर जैसे युवा इसकी चपेट में आकर न सिर्फ अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी इस दलदल में धकेल रहे हैं। पुलिस की यह कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि नशे की समस्या को खत्म करने के लिए जागरूकता, पुनर्वास और सख्त कानूनी ढांचे की जरूरत है। देहरादून पुलिस का यह कदम एक शुरुआत हो सकता है, लेकिन असली जीत तब होगी जब नशे की जड़ें पूरी तरह उखड़ जाएं।