देहरादून: उत्तराखण्ड के राजभवन में मंगलवार, 25 फरवरी 2025 को एक खास मौके पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मिलकर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की दो बड़ी पहलों का लोकार्पण किया। पहली, श्री केदारनाथ क्षेत्र में आपदा प्रबंधन के प्रयासों को संजोने वाली कॉफी टेबल बुक ‘श्री केदारनाथ जी क्षेत्र में आपदा प्रबंधन पर एक और प्रयास’ और दूसरी, आपदा प्रबंधन को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने वाला यूएसडीएमए डैशबोर्ड। यह दोनों ही कदम राज्य के लिए न सिर्फ गर्व का विषय हैं, बल्कि आपदा से जूझते इस पहाड़ी राज्य के लिए भविष्य की राह भी दिखाते हैं।
उत्तराखण्ड की भौगोलिक स्थिति इसे प्राकृतिक आपदाओं का गढ़ बनाती है। भूस्खलन, बाढ़, बादल फटने की घटनाएं और भूकंप जैसी विपदाएं यहां के लोगों के लिए एक कठिन चुनौती बनी रहती हैं। पिछले साल 31 जुलाई 2024 को श्री केदारनाथ क्षेत्र में आई आपदा ने इस सच्चाई को और गहराई से सामने ला दिया था। राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि इस आपदा के दौरान यूएसडीएमए ने जिस तरह से सभी विभागों के साथ तालमेल बिठाकर त्वरित राहत और बचाव कार्य किए, वह काबिले-तारीफ है।
क्या यह संभव होता बिना एक मजबूत नेतृत्व और समन्वय के? शायद नहीं। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री धामी की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी निगरानी में राहत कार्य युद्ध स्तर पर चले और केंद्र सरकार का भी पूरा सहयोग मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इस रेस्क्यू अभियान की हर जानकारी खुद लेते रहे, जो उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है।
कॉफी टेबल बुक का विमोचन करते हुए राज्यपाल ने इसे एक ऐतिहासिक दस्तावेज बताया। यह किताब उन सभी नायकों की कहानी बयां करती है, जिन्होंने अपनी मेहनत और निस्वार्थ सेवा से आपदा के प्रभाव को कम किया। इसमें राहत कार्यों की तस्वीरें, कहानियां और अनुभव संकलित हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगे। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। यूएसडीएमए के नए डैशबोर्ड का लोकार्पण इस आयोजन का सबसे आधुनिक पहलू रहा।
यह डिजिटल प्लेटफॉर्म आपदा प्रबंधन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। इससे न सिर्फ आपदा से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण आसान होगा, बल्कि मौसम पूर्वानुमान, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सड़क दुर्घटनाओं की जानकारी भी तुरंत उपलब्ध होगी। क्या यह तकनीक उत्तराखण्ड को आपदा-प्रतिरोधी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम नहीं है?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस मौके पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पिछले साल केदारनाथ आपदा के दौरान चारधाम यात्रा चल रही थी। रातभर अधिकारियों से अपडेट लेने के बाद अगले दिन वे खुद प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे। वहां श्रद्धालुओं का हौसला देखकर उन्हें हैरानी हुई।
“मैंने सोचा था कि लोग नाराज होंगे, लेकिन उनकी आंखों में भरोसा था कि सरकार उन्हें सुरक्षित निकालेगी,” धामी ने कहा। 15 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया, 29 क्षतिग्रस्त सड़कें फिर से शुरू की गईं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय लोगों ने दिन-रात एक कर दिया। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस बार की चारधाम यात्रा को और बेहतर बनाने की तैयारी चल रही है, जिसमें शीतकालीन यात्रा को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
यह आयोजन सिर्फ एक औपचारिकता नहीं था। यह उस साहस और संकल्प का प्रतीक था, जो उत्तराखण्ड के लोग और सरकार आपदा के सामने दिखाते हैं। राज्यपाल ने कहा कि यह राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ अपने नागरिकों की सेवा-भावना के लिए भी जाना जाता है। क्या हम सब मिलकर इसे और मजबूत नहीं बना सकते? इस सवाल का जवाब शायद इस डैशबोर्ड और किताब में छिपा है, जो आपदा प्रबंधन में तकनीक और अनुभव का शानदार मेल प्रस्तुत करते हैं।