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गंगा के नाम पर वोट मांगकर राजनीति में आए पीएम मोदी: स्वामी शिवानंद

जांच टीम के हरिद्वार आने की खनन माफिया को कैसे लगी भनक, चुके सवाल

हरिद्वार। मातृ सदन के परमाध्यक्ष शिवानंद महाराज ने कहा कि स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल गंगा को बचाने के लिए लड़े और अपने प्राणों को उत्सर्ग किया। गंगा पर बन रहे बांधों को रोकने के लिए उन्होंने 2014 से 2018 के बीच मोदी जी को अनेक पत्र लिखे और सन् 2018 में ही मातृ सदन आश्रम में रहकर उन्होंने तपस्या की। मातृ सदन में पत्रकार वार्ता करते हुए मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कहा कि जिस दौरान 11 अक्टूबर 2018 को तपस्या के 110 वें दिन उनकी एम्स ऋषिकेश में हत्या कर दी गई। अब गंभीर प्रश्न है कि श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत किस मुंह से हरिद्वार में वोट मांगने के लिए आए हैं।

ये उस वक्त उत्तराखंड के चीफ मिनिस्टर थे। स्वामी सानंद ने गंगा के लिए आंदोलन किया लेकिन उन्हें एक बूंद गंगाजल आखिरी वक्त में नसीब नहीं होने दिया। ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद , स्वामी सानंद की मांगों को लेकर आगे तपस्यारत रहे और उनकी तपस्या के 194वें दिन प्रधानमंत्री मोदी जी का संवाद लेकर तत्कालीन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा जी और अशोक कुमार मातृ सदन आए और कहा कि चुनाव के बाद वे हमारी समस्त मांगों को मांग लेंगे, लेकिन बाद में वे अपने वचन से मुकर गए।

साध्वी पद्मावती जी की हालत सब देख रहे हैं। उस व्यक्त भी त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कहा कि आज मातृ सदन से हम पीएम मोदी से भी कह देना चाहते हैं कि आप गंगा के नाम पर आए हैं। कहा कि हमें किसी राजनीतिक विशेष दल से कोई मतलब नहीं है, लेकिन हमें गंगा से मतलब है, समाज से मतलब है, नैतिकता से मतलब है, सामाजिक मूल्यों से मतलब है और भ्रष्टाचार का उन्मूलन कैसे किया जाएगा, उससे मतलब है । स्वामी शिवानंद ने कहा कि पीएम मोदी अपने वचन से मुकर गए, यह सर्वविदित है और उसमें सबसे ज्यादा नुकसान गंगा का और पर्यावरण का हुआ है।

जल पुरूष राजेंद्र सिंह भी प्रेस वार्ता में उपस्थित रहें। कहा कि हरिद्वार में रायवाला से भोगपुर के बीच गंगाजी में चल रही अवैध खनन गतिविधियों पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 16 मार्च, 2022 को खनन पर रोक लगा दी थी लेकिन हरिद्वार में गंगाजी के किनारे लगे स्टोन क्रशरों को बंद करने के संबंध में निर्देश का पालन नहीं किया गया और परिणामस्वरूप बहुत बड़े पैमाने पर अवैध खनन लगातार जारी है जिससे गंगा और कृषि भूमि पर भारी मात्रा में अवैध खनन हो रहा हैं। इसकी विस्तृत रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ 27 मार्च, 2024 को एनएमसीजी को आवश्यक कार्रवाई के लिए दी गई थी।

जांच में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को भी रखा गया। स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि जानकारी मिली है कि टीम ने 7 अप्रैल को सात वाहनों में हरिद्वार का दौरा किया जिसमें मात्र दो पुलिस वाले थे, बाकी सब प्रशासन के लोग थे। वह हरिद्वार जिले के लालढांग, भिक्कमपुर, बिशनपुर कुंडी और बिशनपुर क्षेत्रों में कुछ साइटों पर गए लेकिन गंभीर बात है कि जांच दल में राज्य सरकार के कर्मचारियो की मौजूदगी में न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों की सीधी अवमानना है क्योंकि उन्होनें स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि यह एक तटस्थ निरीक्षण होना चाहिए और न तो याचिकाकर्ता और न ही उत्तरदाताओं में से कोई भी निरीक्षण दल का हिस्सा होगा।

लेकिन कानूनगो और पटवारी के साथ खनन विभाग के लोग भी जांच दल में मौजूद थे और वहां मौजूद किसानों ने बताया कि मौके पर प्रश्न भी सरकारी अधिकारी पूछ रहे थे और कोर्ट कमिश्नर चुप-चाप खड़े थे। जिससे प्रमाणित होता है कि जांच को मैनज किया गया है। इसलिए उच्च न्यायालय इस बात का तत्काल संज्ञान ले और इस पर अवमानना का मुक़दमा चलाए। कहा कि 4 मार्च को आदेश की खबर लगभग सभी स्टोन क्रशर को पहले ही लग गई थी, यह भी गंभीर बात है कि सभी स्टोन क्रशर को इसकी सूचना किसने दी।

खबर मिलते ही माफिया उन खेतों को समतल करने में लग गए जहां अवैध खनन से 30-60 फीट गहरे गड्ढे बने हुए थे। लगभग सभी क्रशरों ने अपने मुख्य द्वार बंद कर दिए हैं और क्रशर के बाहर बजरी, कोरस्केंट का परिवहन रोक दिया। जिन गड्ढों में लगातार खुदाई के कारण भूमिगत जल सतह पर आ गया था, माफियाओं ने उन गड्ढों को भरने के लिए कई जेसीबी लगा दी जिसका वीडियो मातृ सदन के पास उपलब्ध है। हरिद्वार के किसानों ने भी अपनी समस्याएं रखीं। भोगपुर से विपिन सैनी, अशोक सैनी, बिशनपुर से सुभाष कुमार, मांगे राम आदि मौजूद रहे और उन्होनें भी प्रेस के समक्ष अपने अपने क्षेत्र की समस्याएं रखीं।

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