डेंगू का डी 2 स्ट्रेन हो सकता है जानलेवा, यूं करें इसके लक्षणों की पहचान और बचाव
जुलाई-अक्तूबर के महीनों में हर साल देशभर में मच्छर जनित बीमारियों का जोखिम काफी बढ़ जाता है। डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया के कारण हजारों लोग संक्रमित होते हैं, कुछ लोगों में ये रोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बनते हैं। हालिया रिपोर्टस में एक बार फिर इसके जोखिमों को लेकर अलर्ट किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल में टाइप-2 डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, चार-पांच दिनों के भीतर 300 से अधिक लोगों में रोग की पुष्टि जबकि 5 से अधिक की इसके कारण मौत भी हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा साझा की गई जानकारियों के अनुसार राज्य में 138 डेंगू हॉटस्पॉट की पहचान की है। स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ के.जे. रीना ने बताया कि केरल में टाइप 1, 2 और 4 डेंगू वायरस की पहचान की गई है। सबसे ज्यादा मामले टाइप-2 वायरस के सामने आए हैं। यह गंभीर रोगों का कारण भी हो सकता है, इसलिए सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
सामान्य डेंगू से गंभीर हो सकते हैं इस स्ट्रेन के मामले
डेंगू के मामले कुछ स्थितियों में जैसे कमजोर इम्युनिटी, कोमोरबिडीटी के शिकार लोगों के लिए गंभीर हो सकते हैं। टाइप-2 डेंगू को DENV2 के नाम से भी जाना जाता है, ये सामान्य डेंगू के संक्रमण से अधिक गंभीर रोगों का कारण बन सकता है।
एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से होने वाले इस रोग में आमतौर पर मतली-उल्टी, शरीर में दर्द, गले में खराश, आंखों के पीछे दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। DENV-2 का यदि समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो यह डेंगू हेमोरेजिक फीवर (डीएचएफ) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) जैसी घातक जटिलताओं का कारण भी बन सकता है।
DENV-2 के जोखिम और इसकी गंभीरता
डेंगू को मुख्यरूप से चार अलग-अलग सीरोटाइप (DENV-1, DENV-2, DENV-3 और DENV-4) वाला माना जाता है। इसके DENV-2 के मामलों ने पिछले साल भी लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित किया था। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि DENV-2 अधिक गंभीर रोगों का कारण बनता दिख रहा है। इसके शिकार ज्यादातर रोगी तेज बुखार के साथ उल्टी, जोड़ों का दर्द की शिकायत करते हैं। अगर आप पहले भी डेंग के किसी सीरोटाइप से संक्रमित रह चुके हैं, फिर भी DENV-2 और इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का खतरा हो सकता है।
आसानी से फैलता है DENV-2
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया DENV-2, अन्य तीनों सीरोटाइप की तुलना में अधिक आसानी से फैलता है और इसमें रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम होने की आशंका भी अधिक देखी जाती है। अमर उजाला से बातचीत में ग्रेटर नोएडा स्थित अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं, फिलहाल दिल्ली-एनसीआर में डेंगू के मामले अभी कंट्रोल में हैं। कुछ मरीज जरूर देखे गए हैं, पर उनमें रिकवरी आसानी से हो गई है। हालांकि सभी लोगों को डेंगू के जोखिमों को देखते हुए सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है, मच्छर जनित रोगों से बचाव करना बहुत जरूरी है।
डेंगू से बचाव के करें उपाय
एहतियातन सभी लोगों को डेंगू से बचाव के लिए उपाय करते रहना चाहिए। मच्छरों से बचाव के साथ इम्युनिटी को मजबूत बनाने के लिए प्रयास करें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें, जलजमाव न होने दें और रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। यदि आपको बुखार होता है तो शरीर को आराम दें, हाइड्रेशन का पूरा ध्यान रखें और हल्के मामलों में पेरासिटामोल लेना बहुत महत्वपूर्ण है।
बुखार अगर दो-तीन दिनों से अधिक बना रहता है तो डॉक्टर से मिलकर जांच जरूर कराएं।