Dehradun News : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक डकैती का मामला अब भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के साथ सुर्खियों में है। पीड़िता आरूषी सुंद्रियाल ने सोनिया आनंद डकैती मामले में जांच अधिकारी स्मृति रावत पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। यह मामला न केवल स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है, बल्कि लोगों के मन में न्याय और पारदर्शिता को लेकर भी कई सवाल खड़े कर रहा है। आइए, इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई को समझते हैं।
डकैती की रात और टूटा भरोसा
20 अगस्त 2024 की रात आरूषी सुंद्रियाल के लिए एक बुरे सपने की तरह थी। उनके देहरादून स्थित घर में डकैती हुई, जिसमें सोनिया आनंद और चार अन्य लोगों ने कथित तौर पर जबरन घुसकर कीमती जेवरात और सामान लूट लिया। इतना ही नहीं, बदमाशों ने घर के सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए और सबूत मिटाने की कोशिश में कुछ सामान जलाने का भी प्रयास किया। आरूषी के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज में सभी आरोपियों की पहचान स्पष्ट थी, फिर भी पुलिस ने पांच दिन की देरी के बाद ही मुकदमा दर्ज किया। इस देरी ने उनके मन में संदेह पैदा कर दिया।
जांच में लापरवाही या कुछ और?
मामले की जांच का जिम्मा स्मृति रावत को सौंपा गया, लेकिन आरूषी का कहना है कि जांच में भारी लापरवाही बरती गई। टूटे कैमरे, जले हुए अवशेष और अन्य सबूत मौके पर मौजूद थे, लेकिन स्मृति ने इनका कोई रिकॉर्ड नहीं लिया। आरूषी ने बताया कि जब उन्होंने फोरेंसिक जांच की मांग की, तो उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया।
इतना ही नहीं, स्मृति ने आरूषी को फोन और व्हाट्सएप पर ब्लॉक कर दिया, जिससे उनके लिए जांच की प्रगति जानना मुश्किल हो गया। इन सबके चलते आरूषी को यकीन हो गया कि जांच अधिकारी निष्पक्षता के बजाय किसी को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज
आरूषी ने हार नहीं मानी और अपनी आवाज को बुलंद किया। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत दी और पुलिस महानिदेशक से इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की। उनका कहना है कि स्मृति रावत के रवैये और कार्यशैली से साफ है कि वह भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। आरूषी ने कहा, “मैं चाहती हूं कि सच्चाई सामने आए। अगर जांच निष्पक्ष होती, तो मुझे आज यह कदम नहीं उठाना पड़ता।” उनकी यह मांग न केवल उनके लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है, जो पुलिस पर भरोसा करता है।
पुलिस की विश्वसनीयता दांव पर
यह मामला सिर्फ एक डकैती की घटना तक सीमित नहीं है। यह पुलिस की जवाबदेही और पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अगर आरूषी के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार की जरूरत को और रेखांकित करेगा। सोनिया आनंद और उनके साथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ-साथ स्मृति रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की गहन जांच जरूरी है। केवल निष्पक्ष जांच ही लोगों का पुलिस पर भरोसा बहाल कर सकती है।
आगे क्या होगा?
आरूषी की मांग के बाद अब सबकी नजरें पुलिस महानिदेशक के फैसले पर टिकी हैं। क्या इस मामले में एसआईटी जांच होगी? क्या सोनिया आनंद और उनके साथियों को सजा मिलेगी? और सबसे अहम, क्या स्मृति रावत पर लगे आरोपों की सच्चाई सामने आएगी? यह मामला न केवल देहरादून, बल्कि पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बन गया है। आने वाले दिनों में इसकी दिशा और दशा तय करेगी कि न्याय कितना सुलभ है।