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Uttarakhand Exclusive : धामी सरकार का नया मास्टरस्ट्रोक, चौक-चौराहों के बाद अब उत्तराखंड में बदले इन स्कूलों के नाम

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Uttarakhand News : उत्तराखंड की धामी सरकार ने हाल ही में प्रदेश में बदलाव की नई लहर शुरू की है। सड़कों और चौक-चौराहों के बाद अब कई सरकारी स्कूलों के नाम बदले गए हैं। यह कदम जहां स्थानीय नायकों और स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने का प्रयास है, वहीं कुछ फैसलों पर विवाद भी हुआ। इसके साथ ही, सरकार ने कई विकास योजनाओं के लिए करोड़ों रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। यह लेख आपको इस बदलाव की पूरी कहानी बताएगा, जो उत्तराखंड के भविष्य को और उज्ज्वल बनाने की दिशा में एक कदम है।

स्कूलों के नामकरण में नया अध्याय

उत्तराखंड सरकार ने चंपावत, देहरादून, पौड़ी गढ़वाल और टिहरी जिलों के चार राजकीय इंटर कॉलेजों के नाम बदलकर स्थानीय शहीदों और महान व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि दी है। चंपावत के दुबचौड़ा इंटर कॉलेज का नाम अब शहीद लांस नायक विक्रम सिंह के नाम पर रखा गया है।

देहरादून के चकराता में हटाल कॉलेज का नाम पंडित झांऊराम शर्मा के सम्मान में बदला गया है। पौड़ी गढ़वाल के सैंधर कॉलेज को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शम्भू प्रसाद जोशी का नाम दिया गया, जबकि टिहरी के थाती बूढ़ाकेदार कॉलेज को शहीद हवलदार बचन सिंह नेगी के नाम से जाना जाएगा। यह बदलाव न केवल इन नायकों की वीरता को याद रखने का प्रयास है, बल्कि नई पीढ़ी को उनकी कहानियों से प्रेरित करने का भी माध्यम है।

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नाम बदलने पर बहस

हालांकि, सरकार के नाम बदलने के फैसले को लेकर कुछ असंतोष भी देखने को मिला। खासकर देहरादून के मियांवाला के नामकरण पर स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई थी। सरकार ने इस मुद्दे पर विचार करने का आश्वासन दिया है। फिर भी, स्कूलों के नाम बदलने का फैसला लागू कर दिया गया है। यह कदम उन लोगों को सम्मानित करने का प्रयास है जिन्होंने देश और समाज के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। लेकिन क्या यह बदलाव समाज में सकारात्मक संदेश दे पाएगा? यह सवाल अभी भी लोगों के मन में है।

विकास योजनाओं को नई गति

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नामकरण के साथ-साथ धामी सरकार ने उत्तराखंड के विकास को गति देने के लिए कई योजनाओं को हरी झंडी दिखाई है। देहरादून के मसूरी विधानसभा क्षेत्र में ग्राम पंचायतों की सड़कों के लिए 472.81 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। चमोली के थराली में नंदा देवी राज जात यात्रा मार्ग के सुधार के लिए 659.08 लाख रुपये जारी किए गए।

कीर्तिनगर के धारी ढुण्डसिर मार्ग के लिए 697.35 लाख रुपये और पिथौरागढ़ के धारचूला में काली नदी पर मोटर सेतु के लिए 379.41 लाख रुपये की धनराशि मंजूर की गई है। इसके अलावा, केंद्रीय सड़क अवसंरचना निधि (CRIF) के तहत 12 योजनाओं के लिए 453.96 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। ये कदम उत्तराखंड के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।

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उत्तराखंड के लिए क्या मायने?

यह बदलाव केवल नामों और योजनाओं तक सीमित नहीं है। यह उत्तराखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को मजबूत करने का प्रयास है। स्कूलों के नए नाम नई पीढ़ी को अपने इतिहास और नायकों से जोड़ेंगे, जबकि सड़कों और पुलों का निर्माण राज्य को प्रगति की ओर ले जाएगा। लेकिन इन कदमों का असर तभी दिखेगा जब इन्हें जमीनी स्तर पर पूरी ईमानदारी से लागू किया जाएगा। स्थानीय लोगों की राय को शामिल करना और उनके सुझावों को महत्व देना भी जरूरी है।

उत्तराखंड के लिए यह समय बदलाव और प्रगति का है। सरकार के इन फैसलों से जहां एक ओर विकास को गति मिलेगी, वहीं समाज में सकारात्मक संदेश भी जाएगा। लेकिन यह जरूरी है कि विकास और परंपरा के बीच संतुलन बनाए रखा जाए। हमारी उम्मीद है कि ये कदम उत्तराखंड को एक नई पहचान देंगे और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।

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