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Uttarakhand : UCC के ड्राफ्ट को धामी कैबिनेट ने दी हरी झण्डी

Uttarakhand Uniform Civil Code News: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने से दशकों से चली आ रहीं कुरीतियां और कुप्रथाएं खत्म होंगी। सभी को एक समान अधिकार मिल सकेगा। बेटा-बेटी और स्त्री-पुरुष के बीच का भेदभाव खत्म होगा।

देहरादून : समान नागरिक संहिता (UCC) के ड्राफ्ट को उत्तराखंड कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। रविवार को सीएम आवास पर हुई कैबिनेट की बैठक में ड्राफ्ट का विधेयक तैयार कर विधानसभा के पटल पर रखने को मंजूरी दे दी गई। अब आगामी छह फरवरी को आयोजित विधानसभा सत्र में यूसीसी का विधेयक पेश किया जाएगा।

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का काउंटडाउन शुरू हो गया. उत्तराखंड की धामी सरकार ने आज यूसीसी बिल पर चर्चा को लेकर 24 घंटे में दूसरी बार कैबिनेट बैठक बुलाई. इस बैठक में धामी कैबिनेट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को मंजूरी दे दी है. धामी सरकार ने उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को मंजूरी दे दी है. अब कल से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में धामी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को सदन के पटल पर रखेगी.

6 फरवरी को यूसीसी विधेयक सदन के पटल पर रखा जाएगा. 7 फरवरी को विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) बिल पर चर्चा की जाएगी. जिसके बाद इसे धामी सरकार सदन से पारित करवाएगी. बता दें उत्तराखंड की धामी सरकार पिछले कई दिनों से यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लागू करने की तैयारी में है. 2 फरवरी को यूसीसी कमेटी ने धामी सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सौंपा. जिसके बाद धामी सरकार ने यूसीसी का विधिक परीक्षण करवाया. इसके साथ ही सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर अन्य औपचारिकताएं पूरी की है.

बीते रोज हुई कैबिनेट बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी. जिसके बाद सीएम धामी से इस बारे में सवाल किया गया. तब सीएम धामी ने इसके जवाब में कहा सरकार इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती. उन्होंने कहा राज्य सरकार विस्तृत रूप से ड्राफ्ट का विधिक परीक्षण करवा रही है, ताकि मंत्रिमंडल से मंजूरी दिए जाने से पहले राज्य सरकार ड्राफ्ट को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट हो सके.

ये हैं ड्राफ्ट के संभावित प्रावधान

1- लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें। 
 2- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी। 
 3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं। 
 4- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी। 
 5- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है।
  6- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा। 
 7- मेंटेनेंस: अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
 8- एडॉप्शन: सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी। 
 9- हलाला और इद्दत पर रोक होगी। 
 10- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट लग सकती है।
 11- गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा। 
 12- पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
13- जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।

कई दशक बाद धरातल पर उतरेगा यूसीसी

– 1962 में जनसंघ ने हिंदू मैरिज एक्ट और हिंदू उत्तराधिकार विधेयक वापस लेने की बात कही। इसके बाद जनसंघ ने 1967 के उत्तराधिकार और गोद लेने के लिए एक समान कानून की वकालत की। 1971 में भी वादा दोहराया। हालांकि 1977 और 1980 में इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई।
– 1980 में भाजपा का गठन हुआ। भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी बने। पार्टी ने 1984 में पहली बार चुनाव लड़ा, जिसमें केवल दो सीटें मिली।
– 1989 में 9वां लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा ने राम मंदिर, यूनिफॉर्म सिविल कोड को अपने चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल किया। पार्टी की सीटों की संख्या बढ़कर 85 पहुंची।
– 1991 में देश में 10वां मध्यावधि चुनाव हुआ। इस बार भाजपा को और लाभ हुआ। उसकी सीटों की संख्या बढ़कर 100 के पार हो गई। इन लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड, राम मंदिर, धारा 370 के मुद्दों को जमकर उठाया। ये सभी मुद्दे बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में शामिल थे, मगर संख्या बल के कारण ये पूरे नहीं हो पाए थे।
– इसके बाद 1996 में भाजपा ने 13 दिन के लिए सरकार बनाई। 1998 में पार्टी ने 13 महीने सरकार चलाई। 1999 में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ बहुमत से सरकार बनाई। तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने।
– वर्ष 2014 में पहली बार भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई और केंद्र में मोदी सरकार आई। मोदी सरकार ने पूरे जोर-शोर से अपने चुनावी वादों पर काम करना शुरू किया। अब केंद्र की सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इसी कड़ी में यूसीसी को लागू कर उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है।
-उत्तराखंड में 2022 में भाजपा ने यूसीसी के मुद्दे को सर्वोपरि रखते हुए वादा किया था कि सरकार बनते ही इस पर काम किया जाएगा। धामी सरकार ने यूसीसी के लिए कमेटी का गठन किया। जिसने डेढ़ साल में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया। अब विधानसभा का विशेष सत्र पांच फरवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसमें पास होने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।

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