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पूज्य मोरारी बापू ने ज्ञान और शांति के संदेश के साथ दिवाली की दी शुभकामनाएं

पूज्य मोरारी बापू ने दिवाली एवं नए साल का प्रेरणादायक संदेश दिया

नई दिल्ली। विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और रामचरितमानस के व्याख्याता पूज्य मोरारी बापू ने हर्षोल्लास की भावना से त्यौहार मनाने के संदेश के साथ देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।

मोरारी बापू ने दिवाली और नए साल के शुभ अवसर पर लोगों को प्रकाश का मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करते हुए हार्दिक शुभकामनाएं दीं। ऋग्वेद का हवाला देते हुए पूज्य बापू ने जीवन में प्रकाश के महत्व पर जोर देते हुए ज्ञान के गहन शब्दों को साझा किया।

मोरारी बापू ने कहा कि, “ऋग्वेद की शुरुआत ‘अग्निमीले पुरोहितम्’ श्लोक से होती है, जो अग्नि का आह्वान है, जो अग्नि को प्रकाश के वाहक के रूप में दर्शाता है। हमारे ऋषि मुनियों की शिक्षाएं प्रकाश में रहने पर जोर देती हैं। जैसा कि उपनिषद मंत्र ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ में प्रतिध्वनित होता है, जो हमें अहंकार, बुराइयों और अज्ञानता से दूर रहते हुए प्रकाश की ओर जाने का आग्रह करता है।”

मोरारी बापू ने कहा कि दिवाली का त्योहार चंद्रविहीन रात्रि, अमावस्या पर आता है और अंधेरे पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। उन्होंने सभी को भौतिक लाभ, धन या पद के बजाय आत्म-ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने भगवान हनुमान के चरणों में प्रार्थना करते हुए प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उत्साह और खुशी की हार्दिक कामना की।

वैश्विक कल्याण के लिए चिंता व्यक्त करते हुए पूज्य बापू ने निर्दोष लोगों के दुख और उनके जीवन की क्षति के मद्देनज़र सभी युद्धों के अंत के लिए प्रार्थना की।

उन्होंने आगे कहा कि, “भारत ऋषि-मुनियों, राम, कृष्ण और भगवान बुद्ध की भूमि है। आइए, हमारे महान देश ‘वसुधैवकुटुंबकम’ की भावना को अपनाए और खुशी, अखंडता और पवित्रता के मूल्यों का प्रसार करे और दुनिया में सद्भाव और शांति को प्रोत्साहन दें।”

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