मेरे माता पिता ने कहा था जब भी भारत आओ तो ऋषिकेश से शुरुआत करना, डॉ मोदी
धर्मनगरी से देंगे सनातन का संदेश, सनातनियों की सोच को बढ़ाएंगे आगे
ऋषिकेश। द्वारका के शारदा मठ के पूज्य शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती द्वारा राज ऋषि की उपाधि से सम्मानित डॉ भूपेन्द्र मोदी ने कहा कि मैं 75 साल बाद सिंगापुर से भारत लौटा हूं और यहां कुछ खास कार्य करना चाहता हूं, जिसके लिए मैं ऋषिकेश पहुंचा हूं क्योंकि मेरे माता पिता ने कहा था कि जब भी भारत लौट कर आओ तो अपनी शुरुआत ऋषिकेश से ही करना।
उन्होंने धर्मनगरी से सनातन का संदेश देने और सनातनियों की सोच को आगे बढ़ाए जाने की बात कही। उन्होंने ऋषिकेश स्थित मोदी योगा रिट्रीट में सोमवार को पत्रकार वार्ता करते हुए ये बात कही। उन्होंने भारत को विश्व गुरु बनाए जाने की दिशा में कार्य किए जाने पर जोर दिया।डॉ मोदी ने कहा कि भारत में धर्म विशेष की बात करते हुए राजनीतिक मुद्दा बनाया जाता है, जो कि सही नहीं है।
कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें स्मार्ट सिटी बनाने के लिए यहां बुलाया है। लेकिन अब सनातन सिटी का प्रचार करना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास और भारतीय सभ्यता सामान्य इतिहास बोध से कई ज़्यादा प्राचीन और व्यापक है। विकास भी और विरासत भी भारत का विजन है । पिछले दस वर्षों में भारत ने विरासत के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व क़दम उठाए हैं।
प्राचीन सभ्यता का भी विकास भारत में ही हुआ। इस आधार पर भारत को विश्व गुरु माना जाता था। प्राचीन काल में ज्ञान विज्ञान का जनक भारत ही था और यहीं से समस्त भूमंडल में ज्ञान फैला । भारत अपनी मूलभूत ज़रूरतों से काफ़ी आगे बढ़ गया है। आज हम लोग दस वर्ष आगे की योजना पर कार्य कर रहे है निसंदेह भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी मज़बूत इकोनॉमी बनने जा रहा है, लेकिन हमें इसके साथ -साथ अपने धर्म संस्कृति को कैसे विश्व में मजबूत करे।
इस ओर भी चिंतन करने की आवश्यकता है। भारत कैसे सनातन राष्ट्र बने इसके लिए हम सभी को अपने अगली पीढ़ी को संस्कारवान बनाना अति आवश्यक है। हम लोग माँ गंगा के तट पर प्रेस वार्ता कर रहे है। माँ गंगा के कारण यहाँ के कई हज़ार लाखों परिवारों को रोजगार मिल रहा है और गंगा में गंदगी फैलती जा रही है।
गंगा के जल में पाया जाने वाला बैक्टीरिया फाज़ आज समाप्त हो रहा है ये भी एक चिंतनीय विषय है। इसी वर्ष दो जनवरी को जब मैंने अपने जीवन के 75 वर्ष पूर्ण कर लिए थे। उसके बाद मैंने संन्यास ग्रहण किया और अपना संन्यास का काल भारत में रह कर भारत को सनातन राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया। जिस दिशा में कार्य करना शुरू हो चुका है।
जिसकी शुरुआत देवभूमि उत्तराखंड से होगी। कहा कि हिन्दू के पवित्र स्थान हरिद्वार के लिए कोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट नहीं है। हरिद्वार में दुनिया भर के हिंदू अपने पूर्वजों की अस्थि विसर्जन के लिए आते है और यही से चार धाम यात्रा आरंभ होती है। यदि हरिद्वार के आस पास एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनता है तो पूरी दुनिया से गंगा स्नान हेतु श्रद्धालु हिंदू तीर्थयात्री आएंगे।
उत्तराखण्ड का लोकपर्व हरेला चल रहा है उसकी भी आप सब को बधाई देना चाहूँगा। कार्यक्रम का संचालन पंकज भट्ट ने किया।