हरेला पर्व के अवसर पर ग्रो ट्री ने किया वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ
उत्तरकाशी: उत्तराखंड में हरेला पर्व से श्रावण मास और वर्षा ऋतु का आरंभ माना जाता है , हरेला पर्व आज भी देवभूमि की संस्कृति और विरासत को जीवंत रखे हुए हैं, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए जाना जाता है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध त्योहार हरेला के शुभ अवसर पर भारत में पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्था ग्रो ट्री एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय रिसर्च एंड एक्शन समिति के सहयोग से वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ उत्तरकाशी जनपद के लोदन में किया गया, वृक्षारोपण अभियान में वन विभाग एवं स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ ग्रो ट्री के हेड ऑफ प्रोजेक्ट फाइनेंस रौनक जेरीवाला और पंडित दीनदयाल उपाध्याय रिसर्च एंड एक्शन समिति देहरादून के प्रबंधक रमेश जोशी ने देवदार और सिल्वर ओक के पौधे का पौधारोपण कर किया, जिसमें वन विभाग से वन दरोगा जयवीर सिंह राणा, चंद्र मोहन राणा एवं गांव के स्थानीय लोगों ने हरेला पर्व पर बढ़-चढ़कर भाग लिया एवं वृद्ध स्तर पर वृक्षारोपण किया।
ग्रो ट्री से हेड ऑफ प्रोजेक्ट फाइनेंस रौनक जेरीवाला ने बताया कि इस वर्ष हम लोदन गांव में 1.5 लाख वृक्षारोपण करने का लक्ष्य रखा है , जिसको स्थानीय लोगों के सहयोग से पूरा किया जाएगा साथ ही बताया कि स्थानीय लोगों को इसमें रोजगार भी दिया जायेगा। इस दौरान वन दरोगा जयवीर सिंह राणा ने कहा कि हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए , साथ ही कहा कि हमें जो वृक्ष लगाए हैं उनको आग आदि से बचाने की अपील की, साथ ही ग्रो ट्री संस्था के द्वारा लगाए गए पेड़ों की सराहना करते हुए कहा कि ग्रो ट्री पर्यावरण के क्षेत्र में अच्छा काम कर रही है
, वृक्षारोपण में लोदन गांव के लोगो को सभी तकनीकी जानकारी देने कि बात कही और वृक्षारोपण में हर संभव सहयोग प्रदान करेंगे। गांव की महिला सावित्री देवी ने कहा कि वह दो साल से ग्रो ट्री संस्था के प्लांटेशन में काम कर रही है और अपने गांव में ही रोजगार मिल रहा है, वृक्षारोपण होने के बाद गांव में बारिश समय-समय पर होगी और पशुओं को नजदीक में ही चारा पत्ती भी मिल जाएगा। वृक्षारोपण के दौरान राहुल शाह , कुलदीप शाह ने बताया कि हमें ग्रो ट्री के द्धारा गांव में ही रोजगार दिया जा रहा है जिसकी वजह से हमारी आर्थिकी में सुधार आ रहा है और गांव में पेड़ पौधे अधिक लगने से पानी के स्रोत जो सुख रहे थे वह भी बचे रहेंगे।