डीडीएलएफ में अंकिता जैन को मिला ‘शिवानी – आयरन लेडी ऑफ द हिल्स’ पुरस्कार
प्रसिद्ध सेलिब्रिटी लाइनअप के साथ हुआ देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल का जोरदार समापन
देहरादून: 5वें देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल (डीडीएलएफ) का आज दून इंटरनेशनल स्कूल, रिवरसाइड कैंपस और हयात रीजेंसी रिज़ॉर्ट एंड स्पा में रोमांचक समापन हुआ। फेस्टिवल के आखिरी दिन फिल्म निर्माता इम्तिआज़ अली, अभिनेत्री शोभिता धूलिपाला, अभिनेता समीर सोनी, इतिहासकार हिंडोल सेनगुप्ता और भारतीय फिल्म निर्माता व फैशन डिजाइनर मुजफ्फर अली सहित प्रसिद्ध हस्तियों के सत्र आयोजित हुए।
दिन के दौरान, डीडीएलएफ ने उत्तराखंड की साहित्यिक दिग्गज गौरा पंत उर्फ शिवानी को उनके जन्म शताब्दी वर्ष में उनकी स्मृति में एक पुरस्कार स्थापित करके सम्मानित किया। ‘शिवानी – आयरन लेडी ऑफ द हिल्स’ के नाम से मशहूर यह पुरस्कार रिसर्च एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर अंकिता जैन को प्रदान किया गया। हिंदी में लिखने वाली एक प्रमुख महिला लेखिका के रूप में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए उन्हें 25000 रुपये भेंट किए गए।
दिन की शुरुआत लेखिका स्मृति दीवान और रेशमा कृष्णन बार्शिकर के नेतृत्व में ‘मिथ एंड फोकलोर इन मॉडर्न इमेजिनेशन’ विषय पर एक विचारोत्तेजक सत्र के साथ हुई, जिसका संचालन सौम्या कुलश्रेष्ठ ने किया। उन्होंने पौराणिक कथाओं और लोककथाओं के बीच अंतर पर चर्चा करते हुए पौराणिक कथाओं के आकर्षण को गहराई से समझाया।
इसके बाद ‘हिन्दुइस्म इन ए ग्लोबल कॉन्टेक्स्ट – ए पाथ टू प्लुरलिस्म एंड प्रोग्रेस’ पर एक आकर्षक चर्चा हुई, जिसमें इतिहासकार हिंडोल सेनगुप्ता और दीपांकर एरोन ने भाग लिया, और जिसका संचालन मिली अश्वर्या द्वारा किया गया। सत्र के दौरान विवेकानन्द की शिक्षाओं, बौद्ध धर्म के सार और राज ऋषि के आदर्शों पर चर्चा हुई।
दिन का मुख्य आकर्षण इम्तियाज़ अली और शोभिता धूलिपाला की मौजूदगी में ‘द आर्ट ऑफ़ स्टोरीटेलिंग – फिल्म्स एस डायनामिक लिटरेचर’ विषय पर सत्र था, जिसका संचालन इरा चौहान ने किया। इम्तियाज़ ने लेखन और फिल्म निर्माण के प्रति अपना दृष्टिकोण साझा किया और दुनिया को उसी रूप में प्रतिबिंबित करने के महत्व पर जोर दिया जैसा वह देखते हैं।
शोभिता धूलिपाला ने अपनी स्टोरी टेलिंग पर साहित्य के प्रभाव पर जोर दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे किताबें नींव के रूप में काम करती हैं और सिनेमा उस रंग के रूप में काम करता है जो कहानियों को जीवंत बनाता है।
दिन भर में, कई अन्य सत्रों ने साहित्यिक उत्साही लोगों का ध्यान आकर्षित किया, जिनमें तरुण महर्षि, डॉ. रूबी गुप्ता, और डॉ. अलोकदासगुप्ता नियोगी द्वारा ‘इन द शैडोज़ – नेविगेटिंग क्राइम एंड डिटेक्टिव फिक्शन’, चिराग गैंडर, मेजर जनरल नीरज बाली, इदा अली, अक्षय जैन और जिया दीवान आहूजा द्वारा ‘ट्रेलब्लेज़िंग एंटरप्रेन्योर्स – इनोवेटिव फॉर आला सक्सेस’, और सत्य व्यास, प्रताप सोमवंशी और मुदित श्रीवास्तव द्वारा ‘जाने अंजाने दो चेहरे – नरराटिंग वीमेनस लाइव्स’ शामिल थे।
फिल्म निर्माता इम्तियाज़ अली ने ‘अनरावेलिंग तमाशा’ नाम से एक थिएटर वर्कशॉप का आयोजन भी किया। उन्होंने महत्वाकांक्षी अभिनेताओं और थिएटर के प्रति उत्साही छात्रों को स्टोरी टेलिंग की कला का विभिन्न माध्यमों में इस्तेमाल करने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया।
मुज़फ़्फ़र अली ने ‘इन द स्पॉटलाइट – मुज़फ़्फ़र अलीज़ ज़िक्र एंड बियॉन्ड’ शीर्षक से एक दिलचस्प सत्र आयोजित किया, जहाँ उन्होंने कला और रचनात्मकता की दुनिया में अपनी अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा किए। सत्र का संचालन नोनिका दत्ता द्वारा किया गया।
दिन के दौरान लेखक और कवि अशोक चक्रधर, गीत चतुर्वेदी, श्रीमोयी पिउ कुंडू, अभिनेता समीर सोनी, गायक खुशबू ग्रेवाल, ज्योतिका बेदी, विशाल चतुर्वेदी, अतुल पुंडीर और मुदित श्रीवास्तव के सत्र भी शामिल रहे, जिनमें रचनात्मकता, मानसिक भलाई, पाक कला और कविता के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात की गई।
‘ए कलिनरी कैनवस – फूड एस हिस्ट्री, मेमोरी एंड लव’ शीर्षक सत्र के दौरान पैनलिस्ट मीरा अली ने हमारे जीवन में भोजन की भूमिका पर प्रकाश डाला, वहीँ पैनलिस्ट विक्रांत बत्रा ने अपने शुरुआती अनुभवों और अटूट जुनून से प्रेरित होकर फ़ूड बिज़नेस में कदम रखने की अपनी यात्रा साझा की।
अपने सत्र के दौरान, बॉलीवुड अभिनेत्री स्वास्तिका मुखर्जी ने बताया कि कैसे अभिनय और फैशन क्षेत्र में महिलाओं को आये दिन आलोचनात्मक लोगों का सामना करना पड़ता है, और यह गलत धारणा भी है कि उनकी ऑन-स्क्रीन भूमिकाएँ उनके निजी जीवन को दर्शाती हैं।
अभिनेता समीर सोनी और गायिका खुशबू ग्रेवाल द्वारा ‘माइंड मैटर्स – मेंटल वेलबीइंग फॉर यंग एडल्ट्स’ विषय पर एक सत्र में, समीर सोनी ने उल्लेख किया कि उन्हें बचपन से ही लिखने का शौंक रहा है। उन्होंने बताया कि एक अंतर्मुखी और शर्मीले बच्चे के रूप में, उन्हें खुद को मौखिक रूप से व्यक्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, इसलिए उन्होंने अपने विचारों और चिंताओं को व्यक्त करने के तरीके के रूप में लेखन की ओर रुख किया, अनिवार्य रूप से इसे जर्नलिंग के रूप में उपयोग किया। यह अभ्यास अंततः उनकी किताब के रूप में उभरा।
हयात रीजेंसी में आयोजित महोत्सव के समापन में डॉ. डिंपल जांगड़ा और खुशबू ग्रेवाल के सत्रों में ‘बैलेंसिंग वेलनेस – एक्सप्लोरिंग हील योर गट, माइंड एंड इमोशंस’ नामक सत्र पर चर्चा हुई। इस सत्र का संचालन मानिक कौर द्वारा किया किया। इसके बाद मुज़फ़्फ़र अली और इम्तियाज़ अली के साथ ‘सिनेमैटिक अल्केमी – वीविंग स्टोरीज़ अक्रॉस टाइम्स’ नामक अद्भुत सत्र की मेज़बानी हुई, जिसका संचालन यतींद्र मिश्रा और सौम्या कुलश्रेष्ठ ने किया।
तीन दिवसीय साहित्यिक समारोह के समापन के बारे में बात करते हुए, डीडीएलएफ के संस्थापक और निर्माता, समरांत विरमानी ने कहा, “देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल ने एक बार फिर बौद्धिक उत्तेजना और रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए एक मंच प्रदान किया है। यह उत्सव साहित्य, कला और विचारों का एक महोत्सव रहा है और हम भविष्य में दून वासियों को ऐसे कई समृद्ध अनुभव प्रदान करने की आशा करते हैं।”