तुलाज़ इंस्टिट्यूट में सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड क्लाइमेट चेंज पर कार्यशाला हुई आयोजित
देहरादून: तुलाज़ इंस्टिट्यूट ने उत्तराखंड सरकार के उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा अनुसंधान केंद्र (यूएसईआरसी) के सहयोग से ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड क्लाइमेट चेंज: ए स्टेप टू स्ट्रेंदन रिसर्च एंड अंडरस्टैंडिंग’ शीर्षक से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन की गहरी समझ और सतत विकास प्रथाओं को बढ़ावा देना था, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के सम्मानित विशेषज्ञ, शोधकर्ता और छात्रों ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में यूएसईआरसी की निदेशक प्रोफेसर अनीता रावत और सत्र विशेषज्ञ के रूप में यूएसईआरसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. भवतोष शर्मा उपस्थित रहे। प्रोफेसर अनीता रावत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में सतत विकास के महत्व पर जोर दिया। कार्यशाला को दो सत्रों में विभाजित किया गया था जिसमें प्रत्येक सत्र जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित रहा।
पहले सत्र में जलवायु परिवर्तन और सतत विकास में जैव विविधता के महत्व पर चर्चा की गई, जिसमें विशिष्ट वक्ताओं में पूर्व वैज्ञानिक-ई (संयुक्त निदेशक) भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) देहरादून डॉ. हरीश सिंह, वैज्ञानिक, वानिकी और जलवायु परिवर्तन प्रभाग, उत्तराखंड अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (यूएसएसी), देहरादून डॉ. गजेंद्र सिंह, वैज्ञानिक सलाहकार, पादप एवं पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (पेरी), कानपुर डॉ. ओमेश बाजपेयी और सहायक प्रोफेसर, पर्यावरण विज्ञान विभाग, ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय आशीष कुमार आर्या शामिल रहे।
कार्यशाला में सतत विकास के लिए कृषि विधियों और प्रथाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें एनडीवीएसयू, जबलपुर के पूर्व वीसी डॉ. पीडी जुयाल, प्लांटिका फाउंडेशन के निदेशक डॉ. अनूप बडोनी, और प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख आईसीएआर-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, (आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी), देहरादून डॉ. मुरुगनादम शामिल रहे।
तुलाज़ इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. संदीप विजय ने कहा, “इस कार्यशाला ने जलवायु परिवर्तन और सतत विकास से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान किया।” कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुगम गुप्ता और कंचन द्वारा किया गया, जिसमें तुलाज़ इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. संदीप विजय, डीन ऑफ एकेडमिक्स डॉ. निशांत सक्सेना, डीन ऑफ आर एंड डी डॉ. सुनील सेमवाल और रिसर्च कोऑर्डिनेटर डॉ. त्रिपुरेश जोशी की उपस्थिति रही।