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गजब: उत्तराखंड में अब कवि सम्मेलन का भी टेंडर

श्रीनगर गढ़वाल: आपने देश में भवन, पुल और सड़क निर्माण के लिए टेंडर आमंत्रित करने की बात तो सुनी होगी, लेकिन उत्तराखंड में अब कवि सम्मेलन के लिए भी टेंडर आमंत्रित किए जा रहे हैं। यानी कवियों का भी मोल-भाव किया जाएगा। जो कवि सबसे कम पैसे मांगेगा, उसे कवि सम्मेलन के मंच पर बैठाया जाएगा। यह नगर निगम और प्रशासन का दिमागी दिवालियापन नहीं तो और क्या है? मामला श्रीनगर गढ़वाल में 14 नवंबर से 20 नवंबर को होने वाले बैकुंठ चतुर्दशी मेला और विकास प्रदर्शनी से जुड़ा है।

इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया जाना है। इसमें नगर आयुक्त/अध्यक्ष मेला समिति की ओर से 24 अक्टूबर 2024 को विभिन्न समाचार पत्रों में निविदा का विज्ञापन प्रकाशित कराया गया है। इस विज्ञापन में विभिन्न व्यक्तियों और फर्मों से पांच नवंबर को सुबह साढ़े 11 बजे तक सीलबंद/मुहरबंद लिफाफे में रजिस्टर्ड पोस्ट, स्पीड पोस्ट और हाथदस्ती के माध्यम से आमंत्रित किए जाने और उसी दिन दोपहर 12 बजे खोले जाने की बात कही गई।

जिन कार्यक्रमों के लिए निविदा आमंत्रित की गई है, उसमें भजन संध्या, उत्तराखंड लोक संस्कृति आधारित कार्यक्रम, नाटक मंचन, कठपुतली नृत्य, साहसिक गतिविधियों के अलावा कवि सम्मेलन भी शामिल हैं। भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए तो टीम स्वाभाविक है, लेकिन कवि सम्मेलन के लिए टेंडर आमंत्रित करने की बात चर्चा का विषय बनी हुई है। कवि सम्मेलन में कवियों को बुलाने के लिए जिस समिति का गठन किया गया है, उसके सदस्य भी कवि सम्मेलन के लिए टेंडर आमंत्रित करने की बात से हैरान हैं।

समिति के एक सदस्य का तो यह कहना है कि वह तमाम राज्यों में कविता पाठ के लिए जा चुके हैं, लेकिन कवियों को टेंडर से आमंत्रित करने का मामला पहली बार देखा है। सवाल किया जा रहा है, जो कवि सबसे कम पैसे लेगा, क्या उसे मंच पर बिठाया जाएगा? यदि ऐसी बात है तो कवि सम्मेलन का स्तर क्या रहेगा। समिति के एक सदस्य ने तो इसे नगर निगम और प्रशासन का दिमागी दिवालियापन बताया। इस मामले में जब पौड़ी गढ़वाल के डीएम आशीष चौहान से बात की गई तो वह भी हैरत में पड़ गए।

उनका कहना था कि कवि सम्मेलन के लिए टेंडर आमंत्रित करने का कोई मतलब नहीं है, फिर भी वह पूरे मामले की जानकारी मेला समिति अध्यक्ष और नगर आयुक्त से लेंगे। फिलहाल यह पूरा मामला कवि बिरादरी में चर्चा का विषय बना हुआ है कि किस मानक के आधार पर कवियों से टेंडर लिए जाएंगे। पिछले साल भी हुई थी मेला समिति की थू-थू उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी स्थानीय कवियों से बात कर मेला समिति ने कवि सम्मेलन स्थगित कर दिया गया था,

जबकि अगले दिन स्थानीय कवियों को नजरंदाज कर कवि सम्मेलन के लिए कुमार विश्वास और कुछ कवियों को बुलाया गया। कुमार विश्वास ने खुद मंच से कहा कि कवि सम्मेलन के लिए उन्हें 25 लाख रुपए दिए गए। हैरत की बात यह है कि मेला समिति ने बजट न होने की बात कर स्थानीय कवियों का काव्य पाठ का कार्यक्रम स्थगित कर दिया था। उस समय भी मेला समिति की खूब थू-थू हुई थी, लेकिन उससे भी मेला समिति ने सबक नहीं लिया, बल्कि इस बार तो दिमागी दिवालियापन का अनूठा उदाहरण पेश कर दिया।

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