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अध्यात्म से ही मानव का ह्रदय परिवर्तित हो सकता है: सतपाल महाराज

हरिद्वार। रानीपुर स्थित दशहरा मैदान बी.एच.ई.एल., सेक्टर 4 में आध्यात्मिक गुरु सतपाल जी महाराज के जन्मोत्सव पर श्री प्रेमनगर आश्रम द्वारा आयोजित सद्भावना सम्मेलन में अपार जनसमुदाय को संबोधित करते हुए महाराज जी ने कहा कि हमारा देश तो राम, कृष्ण का देश रहा है। हमारे देश में हमेशा अहिंसा की बात की गई है, शांति की बात की गई है। इसी राम कृष्ण के देश से बुद्ध, महावीर व अनेक संतों ने शांति की आवाज उठाई।

वह अध्यात्मवाद की आवाज फिर से गुंजनी चाहिए, जिससे सारा भूमंडल सुख व शांति से आगे बढ़े। आज इस कलिकाल के अंदर, इस विषम परिस्थिति के अंदर एक भयानक विनाश का रोग लग गया है, इसका निदान केवल मात्र अध्यात्म ही है। अध्यात्म के द्वारा ही मानव के हृदय का परिवर्तन संभव है। जब मानव का हृदय बदलेगा तो समाज में भाईचारा, सहिष्णुता, राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता, सद्भावना आदि पल्लवित होगी।

सतपाल जी महाराज ने आगे कहा कि आज का मानव केवल तबाही मचाने में लगा हुआ है। आज हम कितना विनाश कर सकते हैं, वह विनाश करने की क्षमता हमारी शक्ति बन गई है। जबकि शक्ति तो उसे कहा जाता है जो कुछ अच्छा कर दे, जिससे मानव समाज का भला हो, जिससे मानव का हृदय परिवर्तन हो और सद्भावना समस्त वसुधा पर फैले। महाराज जी ने कहा कि हम सभी देवभूमि की गोद में बैठकर सत्संग रूपी गंगा में गोटा लगा रहे है|

गंगा हिमालय से बहती है, यह धरती की धारा नहीं थी, यह स्वर्ग की धारा थी पर भागीरथ ने तपस्या की तो स्वर्ग की धारा को धरती पर ले आया। हम भी तपस्या करेंगे, हम भी कर्म करेंगे तो हम भी स्वर्ग को धरती पर ला सकते हैं, यही गंगा का संदेश है। इसलिए गंगा की भावना को समझो, माँ गंगा से हमे प्रेरणा लेनी है और देश के विकास में अपना योगदान दे। कार्यक्रम से पूर्व महाराज जी, पूज्य माता श्रीअमृता जी व अन्य विभूतियों का माल्यापर्ण कर स्वागत किया गया तथा संत-महात्माओं ने अपने सार गर्भित विचार रखे।

इस मौके पर देश-विदेश से सैकड़ों की संख्या में भक्तगणों ने कार्यक्रम में पहुँच कर महाराज जी के प्रवचन और दर्शनों से लाभ उठाया। भजन गायकों ने महाराज जी को जन्मदिन की बधाई दी। मंच संचालन महात्मा श्री हरिसंतोषानंद जी ने किया।

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