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विश्व शांति और लोक कल्याण के लिए भव्य कोटी लिंग रूद्र महायज्ञ

सहसपुर, देहरादून: के समीप मिनी स्टेडियम शिंव मंदिर शंकरपुर में 28 फरवरी 2025 (शुक्रवार) से 7 मार्च 2025 (शुक्रवार) तक भव्य कोटी लिंग रूद महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इस यज्ञ में 1 करोड़ पार्थिक शिवलिंगों एवं द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर दुग्धाभिषेक 151 वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा किया जाएगा। इस ऐतिहासिक धार्मिक अनुष्ठान में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी और अन्य गणमान्य व्यक्ति मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक यज्ञ रत्न आचार्य श्री नित्यानंद सेमवाल जी द्वारा ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः के संकल्प को जारी रखते हुए यह उनका 63वां महायज्ञ है। इस महायज्ञ का उद्देश्य विश्व शांति, लोक कल्याण और आध्यात्मिक चेतना का प्रसार करना है। यह आयोजन उनकी धार्मिक निष्ठा और सनातन धर्म के प्रति अटूट विश्वास को दर्शाता है।

कार्यक्रम का विवरण

महायज्ञ के पहले दिन सुबह 10 बजे से कलश यात्रा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सुंदर झांकियां और धार्मिक संगीत शामिल होगा। यह यात्रा शिव मंदिर परिसर सहसपुर से प्रारम्भ होकर यज्ञ स्थल तक पहुंचेगी। इसके उपरांत, वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गणेश पूजन और ब वरण की विधि सम्पन्न होगी। इस अवसर पर विशेष धार्मिक पुस्तक का विमोचन मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के कर कमलों से किया जाएगा। यज्ञरत्न आचार्य श्री नित्यानंद सेमवाल जी ने सभी श्रद्धालुओं और धर्मप्रेमियों से इस आयोजन में सम्मिलित होने का आग्रह किया है।

वैदिक अनुष्ठान और हवन

सात दिवसीय इस महायज्ञ के दौरान प्रतिदिन 151 वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा विशेष पूजा और दुग्धाभिषेक किया जाएगा। यज्ञ कुंडों में हवन के लिए हजारों आहुतियां दी जाएगी, और हर दिन धार्मिक अनुष्ठानों का पालन किया जाएगा। इस यज्ञ में प्रतिदिन 108 दीपमालाओं में द्वारा संगीतमय तांडव स्तोत्र का पाठ किया जाएगा।

समापन समारोह

7 मार्च 2025 को महायज्ञ का समापन पूर्णाहुति, धार्मिक प्रवचनों और सांस्कृतिक संध्या के साथ होगा। इस अवसर पर धर्म, संस्कृति और आध्यात्म पर आधारित कार्यक्रम भी आयोजित किए जांएगे। विशेष अतिथिः मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति इस आयोजन को और अधिक भव्य बनाएगी। यज्ञ रत्न आचार्य श्री नित्यानंद सेमवाल जी ने बताया कि यह महायज्ञ देवभूमि उत्तराखण्ड की सांस्कृति और धार्मिक विरासत को सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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