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पूरी दुनिया को आज शांति और सद्भावना की आवश्यकता हैः डॉ आर. मीनाक्षी सुंदरम्, आईएएस

देहरादून: जिस तरह से पुरी दुनिया में तनाव अपने चरम पर है और दुनिया युद्ध के मुहाने पर खड़ी है, ऐसे में शांति और सद्भावना की सबसे अधिक आवश्यकता महसूस की जा रही है। आज के वैश्विक दौर में ऐसा संभव नहीं है की दुनिया के किसी हिस्से में कोई घटना घटित हो और उस घटना से समूचा विश्व प्रभावित न हो। यदि हम आज रूस-यूक्रेन या इजरायल-ईरान युद्ध की बात करें तो इन दोनों युद्ध से राजनैतिक और आर्थिक दोनों रूप से समूचा विश्व प्रभावित हो रहा है। इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी आफ इंडिया के चौथे क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए देहरादून चैप्टर के अध्यक्ष एवं उत्तराखंड शासन में उर्जा, नियोजन एवं आवास सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम् ने बताया कि 1980 के दशक में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के प्रथम भारतीय अध्यक्ष जस्टिस नागेंद्र सिंह, आईसीएस ने परमाणु अप्रसार, परमाणु हथियारों के खिलाफ, वैश्विक शांति तथा सद्भावना को बढ़ाने के लिए इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी आफ इंडिया की स्थापना की थी।

श्री सुंदरम् ने बताया कि जिन उद्देश्यों को लेकर गुडविल सोसायटी की स्थापना की गई थी उनकी आवश्यकता आज खासकर आपसी सद्भावना की आवश्यकता आज सबसे अधिक महसूस की जा रही है। भारत की सोच एवं दर्शन सदैव वसुधैव कटुम्बकम की रही है, इसीलिए शांति और सद्भावना की वृक्ष भारत भूमि से ही उगेगा जिसकी छांव में विश्व में शांति और सद्भावना का प्रसार होगा। इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी के चौथे रीजनल कन्वेंशन का आयोजन ‘‘सशक्त उत्तराखंडः सतत लक्ष्यों के साथ समग्र विकास का खाका‘‘ थीम के साथ मॉर्डन दून लाइब्रेरी के सभाकक्ष में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में वक्ताओं ने सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी बेस्ट प्रैक्टिस के विषय में बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एम्स ऋषिकेश की निदेशक एवं कार्यकारी अधिकारी प्रो. (डॉ) मीनू सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बनाए गए सतत विकास के 17 लक्ष्यों में से नंबर 03 उत्तम स्वास्थ्य एवं कल्याण में एम्स ऋषिकेश बहुत उल्लेखनीय कार्य किए है।

उल्लेखनीय उपलब्धियों के आधार पर एम्स ऋषिकेश को देश के तीन शीर्ष एम्स में स्थान प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय सुदूर क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराने के लिए एम्स ऋषिकेश टेलीमेडिसन के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने ड्रोन के माध्यम से दवा और वैक्सीन भी पर्वतीय क्षेत्रों में भेजने का सफल प्रयोग किया है। उन्होंने उत्तराखंड शासन के नियोजन सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम् से आग्रह किया कि एम्स की सहायता से प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं से रहित क्षेत्रों को चिन्हित करके उन्हें टेलीमेडिसन जोड़ा जाए, वहां एक डिसपेंसरी की स्थापना की जाए जो टेलीमेडिसन के जरिए चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार रोगियों को दवाएं दी जा सकें। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक प्रो. (डॉ) दुर्गेश पंत ने अपने वक्तव्य में कहा कि गुडविल सोसायटी का यह रीजनल कन्वेंशन बहुत ही महत्वपूर्ण दिन के समय आयोजित किया जा रहा है।

यह उस समय की याद दिलाता है जब सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों तक विकास की किरण पहुंचाने के लिए इस दिन उत्तराखंड राज्य स्थापना के लिए सबसे बड़ा आंदोलन प्रारंभ हुआ था। उन्होंने बताया कि राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सतत विकास कि लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया की पिछले दो वर्षों में राज्य के सभी 13 जिलों में रीजनल साइंस सैंटर की स्थापना में कार्य चल रहा है और साथ ही देश की पांचवी साइंस सिटी भी देहरादून में स्थापित की जा रही है। कार्यक्रम में पैट्रोलियम यूनिवर्सिटी के रनवे इनक्यूबेटर के वरिष्ठ प्रबंधक मोहित नागपाल ने स्टार्टअप के विकास में विश्वविद्यालय के रोडमैप के विषय में बताया। उत्तराखंड तकनीकी शिक्षा निदेशालय के निदेशक आरपी गुप्ता ने अपने वक्तव्य में बताया कि विभिन्न क्षेत्रों के करीब 200 उद्योगों के प्रतिनिधियों साथ संवाद स्थापित करके आज पिछले तीन वर्षों से पॉलीटेक्निक के छात्रों को इंडस्ट्री की मांग के अनुरूप तैयार किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि कैंपस सलेक्शन के माध्यम से प्रति वर्ष कुल 65 प्रतिशत छात्रों का चयन न्यूनतम 3 लाख रुपए सालाना पैकेज पर हो रहा है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सगंध पौधा केंद्र के वैज्ञानिक एवं निदेशक डा नृपेंद्र चौहान ने बताया की पर्वतीय अंचल में जहां पर लोगों ने खेती व्यवसाय को बंद कर दिया था, वहां सगंध पौधा केंद्र ने वैकल्पिक फसलों की खेती के माध्यम तीस हजार से अधिक किसानों को लाभान्वित किया। आज इन किसानों को कुल कारोबार 100 करोड़ से अधिक का है। उन्होंने बताया की कैप में एक इनक्यूबेटर की स्थापना भी की गई जहां से कोई भी किसान, छात्र या युवा परफ्यूम, प्रोसेसिंग या किसी अन्य क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करना चाहे तो उसके लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध है। इस अवसर पर ऊर्जा सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम् ने सतत विकास के 7वें लक्ष्यों की पूर्ति करने वाले तथा 20 से 22 नवंबर के बीच आयोजित होने वाले डीआईएसटीएफ के चौथे ग्रीन एनर्जी कनक्लेव के पोस्टर भी लॉन्च किया।

इस अवसर पर 15 महानुभावों को उनकी विशिष्ट उपलब्धियों एवं राज्य के सतत् विकास में दिये गए महत्वपूर्ण योगदन के लिए उत्तराखंड रत्नश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। इन महानुभावों में पद्मश्री डॉ. आर.के. जैन, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जेएमएस राना, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के निदेशक डॉक्टर आर.पी. सिंह उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक डॉ. संजय कुमार, तकनीकी शिक्षा के निदेशक इंजी. आर.पी. गुप्ता सेंटर, फॉर एरोमाटिक प्लांट के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान, यूकॉस्ट के संयुक्त निदेशक डॉ. डीपी उनियाल, पूर्व नौसेना अधिकारी एवं डीडीए के सेंटर हेड श्री उमेश कुनियाल, उच्च शिक्षा के संयुक्त निदेशक डॉ. ए.एस. उनियाल, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. सुमिता प्रभाकर, निःशुल्क दिव्यंाग सहायता शिविर की मुख्य आयोजक डॉ. रमा गोयल, प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. प्रेम कश्यप, पर्यावरणविद् डॉ. ब्रज मोहन शर्मा, पैट्रोलियम यूनिवर्सिटी के रनवे इनक्यूबेटर के वरिष्ठ प्रबंधक श्री मोहित नागपाल तथा स्वदेश न्यूज चैनल उत्तराखंड के स्टेट हेड श्री अवनीश कुमार जैन शामिल है।

कार्यक्रम का संचालन इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी के सचिव कुँवर राज अस्थाना ने किया, स्वागत भाषण उपाध्यक्ष डॉ. अजय सक्सेना द्वारा दिया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन सोसायटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश ओबाराय जी द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में विशेष रूप से यूसर्क की निदेशक डॉ. अनिता रावत, चिन्मय मिशन की सचिव श्री साधना जयराज, एमकेपी कॉलेज की पूर्व प्राचार्या डॉ. इंदु सिंह, प्रो. रेनू सक्सेना, दून इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन डीएस मान, हरिद्वार के प्रख्यात उद्योगपति जगदीश पाहवा, दून स्कूल के चंदन सिंह, डीआईटी के प्रो. जोगेंद्र सिंह, प्रो. संजय अग्रवाल, ओएनजीसी के रामराज द्विवेदी, राजीव वर्मा, दून डिफेंस अकादमी के संदीप गुप्ता, आदि बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी एवं ब्यूरोक्रेट उपस्थित थे।

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