प्रदेश के निर्धन विधायकों! उपनलकर्मियों के मामले में क्यों संवेदनाएं मर चुकी! मोर्चा
विकासनगर- जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सरकार द्वारा उपनल कर्मियों के विरुद्ध मा. सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी वापस लेने से इनकार कर दिया गया है, जोकि इन सब कर्मियों पर बहुत बड़ा कुठाराघात है| नेगी ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश के विधायकों ने कभी भी इनकी सुध नहीं ली कि कैसे 15-17 हजार में ये अपना परिवार पाल रहे हैं, जबकि इसके विपरीत एक विधायक तीन-चार लाख रुपये प्रतिमाह वेतन/ भत्ते उसके उपरांत पेंशन और विधायक निधि/ ठेकेदारी इत्यादि में कमीशनखोरी/ अवैध कारोबार का खेल किसी से छिपा नहीं है, लेकिन इनके मामले में आवाज उठाने में इनको सांप सुंघ जाता है|
अगर इनको अपने वेतन/ भत्ते बढ़ाने होते हैं तो एक आवाज में विधेयक पास हो जाता है| नेगी ने कहा कि उपनल कर्मियों के मामले में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 12.11.2018 को जनहित याचिका सं0 116/2018 में सरकार को इन कर्मचारियों को नियमित करने, जी0एस0टी0 व सर्विस टैक्स आदि न काटने के निर्देश दिये थे, लेकिन सरकार द्वारा इन कर्मचारियों की राह में रोड़ा अटकाने को उक्त आदेश के खिलाफ मा0 सर्वोच्च न्यायालय में एस0एल0पी0 दाखिल की गयी। मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उक्त आदेश पर रोक लगाई गई एवं मामला आज भी लंबित है| नेगी ने कहा कि अगर विधायकों में थोड़ी भी संवेदना बची है तो उपनल कर्मियों के पक्ष में आवाज़ उठाएं, जिससे ये अपने परिवार का भरण- पोषण आसानी से कर सकें| पत्रकार वार्ता में- मोहम्मद असद व प्रवीण शर्मा पिन्नी मौजूद थे|