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शिक्षक सूर्य सिंह पंवार “विद्या विभूति देवभूमि सम्मान” से हुए सम्मानित

शिक्षक समाज का महत्वपूर्ण अंग: महाराज

देहरादून: स्वामी चिदानंद जी महाराज, सतपाल महाराज कैबिनेट मंत्री, श्री भगत सिंहं कोश्यारी पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल , श्री तीरथ सिंह रावत पूर्व मुख्यमंत्री आदि गणमान्य हस्तियों की मौजूदगी में शिक्षक सूर्य सिंह पंवार को “उत्तराखंड विद्या विभूति देव भूमि सम्मान” से सम्मानित किया गया । इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज का महत्वपूर्ण अंग होता है। शिक्षक ही राष्ट्र निर्माण में अग्रिम भूमिका निभाता है ।

सूर्य सिंह पंवार टिहरी जनपद जौनपुर विकासखंड के उत्कृष्ट शिक्षक है। इन्हें विद्या विभूति देवभूमि सम्मान से सम्मानित किया गया।यह शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहते हैं। इनके द्वारा अपने विद्यालय में समय-समय पर शिक्षा पर संगोष्ठिया और सेमीनार जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करवाया जाता है, जिसमें समुदाय के प्रबुद्ध नागरिकों को एक मंच पर लाकर शिक्षा जैसे मुद्दे पर चर्चा परिचर्चा करवाते हैं।

अपने विद्यालय के बच्चों को जौनपुर- जौनसार रंवाई घाटी की लोक संस्कृति से जोड़ना भी उनकी प्राथमिकता है ताकि शिक्षा के साथ-साथ बच्चे अपनी जड़ों से जुड़े रहें। पश्चात संस्कृति की तरफ नहीं बल्कि अपनी संस्कृति को लेकर बच्चों में आकर्षण बना रहे ।इस तरह के कार्यक्रमों से बच्चों में आत्मविश्वास उत्पन्न हो। हाल ही में भारत के जाने-माने दून स्कूल देहरादून के बच्चों ने उनके राजकीय प्राथमिक विद्यालय थापला (गैड )जौनपुर टिहरी गढ़वाल में पहुंचकर बच्चों के साथ शिक्षक जैसी गतिविधियां एवं विद्यालय में साज – सज्जा का कार्य करवाया गया।

विद्यालय के बच्चों को कॉपी, पेंसिल एवं व्हाइट बोर्ड शिक्षण सामग्री उपलब्ध करवाई गई ।इनके द्वारा अपने विद्यालय को विद्या केंद्र से पूर्ण विद्यालय स्थापित किया गया। समुदाय के सहयोग से विद्यालय में पर्याप्त संसाधन जुटाना गये जैसे प्रोजेक्टर ,फर्नीचर, मैट आदि। नन्हे मुन्ने बच्चों बच्चे अब तक कहीं बड़े-बड़े मंचों पर अपनी सांस्कृति कार्यक्रम की प्रस्तुतियां दे चुके हैं। बच्चों को समय-समय पर नए-नए एक्स्पोज़र करवाए जाते हैं।

कोविड काल में उनके द्वारा मास्क ,सेनीटाइजर आदि सामान विकसित किए गए। कई सारे काश्तकारों को पेड़ पौधे भी वितरित किए गए। अपने विद्यालय परिसर में छायादार पेड़ पौधों का वृक्षारोपण एवं संरक्षण किया गया। स्थानीय परिवेश में शिक्षण प्रक्रिया में समावेश जैसी विषयों पर समय-समय पर नवाचार करते रहते हैं ।स्वयं भी बागवानी, सांस्कृतिक जैसे गतिविधियों एवं समाज हित में अपना सहयोग देते रहते हैं।

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