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मूल निवास-भू कानून बाद में, पहले हो केंद्र शासित प्रदेश : मोर्चा

खनन माफियाओं-दलालों से प्रदेश को बचाना हो पहली प्राथमिकता।

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि उत्तराखंड का जनमानस शायद अब जाग चुका है, जिसके क्रम में उनके द्वारा मूल निवास, भू-कानून आदि मुद्दों पर संघर्ष किया जा रहा है, बहुत ही सराहनीय है।

मोर्चा का इससे उलट सोचना है कि इन तमाम मुद्दों से पहले प्रदेश को कम से कम 10 वर्ष केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित करने के लिए लड़ाई लड़नी चाहिए। कुछ अदूरदर्शिता के कारण आज प्रदेश का जनमानस अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है।

केंद्र शासित प्रदेश होते ही प्रदेश में नेता बन बैठे दलाल- माफिया, ब्लैकमेलर, लुटेरे, चोरी चकारी करने वाले, दुराचारी सब अपने आप सीधे हो जाएंगे। कोई भी सरकार रही हो, इन पर अंकुश लगाना सरकार और नेताओं के बस में नहीं रहा।

आज हालात यह है हैं कि न तो नौकरी बची है और न ही जमीन। नौकरी तो सब दलालों के माध्यम से हड़प ली गई।

नेगी ने कहा कि प्रदेश के मूल निवासियों का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि जो जमीन लाख-दो लाख रूपए बीघा आसानी से मिल जाती थी, वही जमीन आज डेढ़-दो करोड रुपए के हिसाब से राज्य की लड़ाई लड़ने वाले खरीद रहे हैं।

अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय जो काम 100–200 रुपए में आसानी से हो जाया करते थे वही काम लाख- दो रुपए में भी नहीं हो रहे।

नेगी ने कहा कि इस शांत प्रदेश को भ्रष्ट माफियाओं एवं दलाल सरीखे नेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के चंगुल से बचाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश का होना बहुत जरूरी है, बाकी जिन मुद्दों पर राज्य के मूल निवासी लड़ाई लड़ रहे हैं वे समस्याएं स्वत: ही हल हो जाएंगी।

पत्रकार वार्ता में राज्य आंदोलनकारी आकाश पंवार, आर.पी.भट्ट, भजन सिंह नेगी मौजूद थे।

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