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सनातन संस्कृति के संरक्षक हैं, संस्कृत के छात्र: डॉ संतोषानंद देव

स्वामी संतोषानंद देव महाराज ने की उदासीन संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य से भेंटवार्ता

हरिद्वार। महामंडलेश्वर डॉ स्वामी संतोषानंद देव महाराज ने कहा कि देवभूमि हरिद्वार में संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र सम्मान के अधिकारी हैं। ऐसे छात्रों ने ही भारत की गौरवशाली परंपरा को कायम रखते हुए भारतीय शिक्षा पद्धति के अनुसार वेदों पुराणों का अध्ययन कर पूरे विश्व में भारत का मान बढ़ाया है।
बताते चलें कि श्री अवधूत मंडल आश्रम बाबा हीरादास हनुमान मंदिर सिंहद्वार ज्वालापुर हरिद्वार के पीठाधीश्वर महंत महामंडलेश्वर डॉ स्वामी संतोषानंद देव जी महाराज ने श्री उदासीन संस्कृत महाविद्यालय कृष्णा नगर, कनखल के प्राचार्य डॉ नारायण पंडित से भेंटवार्ता कर अनेक विषयों पर चर्चा की।

प्राचार्य डॉ नारायण पंडित ने जानकारी देते हुए बताया कि श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के तत्वावधान में संचालित श्री उदासीन संस्कृत महाविद्यालय में छात्रों को आवासीय सुविधा प्रदान की गई। वहीं भोजन के लिए छात्रों को अखाड़े जाना पड़ता है। डॉ संतोषानंद देव महाराज ने कहा कि संस्कृत पढ़ने वाले छात्र सनातन संस्कृति के रक्षक है। इन विद्यालयों में वेद, पुराण, साहित्य, धर्म का अध्यापन कराया जाता है।

संस्कारित शिक्षा प्रदान करने में संस्कृत महाविद्यालयों का अप्रतिम योगदान है। तीर्थनगरी हरिद्वार में तमाम संस्कृत के विद्यालय संचालित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूर दराज के विद्यार्थी संस्कृत पढ़ने के लिए हरिद्वार आ रहे हैं और घर परिवार से दूर रहकर तमाम तकलीफों का सामना कर पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन स्थानीय विद्यार्थियों का संस्कृत में रूझान नहीं है। उन्हें हमेशा मलाल रहता है कि आधुनिक समाज में संस्कृत में पढ़ने वाले छात्रों को दोयम दर्जे का समझा जाता है। जबकि संस्कृत पढ़ने वाले छात्र किसी से कम नहीं है। ऐसे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है।

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