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शारदा देवी का वीरांगना सावित्रीबाई फुले नेशनल फेलोशिप अवार्ड के लिए चयन

उत्तरकाशी (रोबिन वर्मा): शारदा देवी का चयन वर्ष 2023 के वीरांगना सावित्रीबाई फुले नेशनल फेलोशिप अवार्ड के लिए किया गया है। उनको 10 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में यह सम्मान दिया जाएगा। भारतीय दलित साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील के मोरा नामक गांव कि श्रीमती शारदा देवी को सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं के लिये कार्य करने हेतु वीरांगना सावित्री बाई फुले राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान-2023 हेतु चयनित किया गया है।

श्रीमती शारदा देवी का जन्म उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील के मोरा नामक गांव में एक गरीब परिवार में हुआ पांच बहनों में सबसे छोटी बहन थी जब यह 5 महीने की हुई तो उनके पिताजी श्री रघु जी का देहांत हो गया किंतु कुदरत ने इन पर कोई रहम नहीं किया और 2 वर्ष की आयु में ही उनकी माताजी जिस बस में सवार होकर मोरी जा रही थी वह नदी में गिर जाने से बहुत से लोगों के साथ उनकी माता जी का भी देहांत हो गया।

और वहीं से इनका संघर्षमय जीवन शुरू हो गया उनके घर में अब सिर्फ उनकी मौसी जिनके कोई बच्चे जीवित न रहे थे और यह पांच बहने शेष बची थी और आज के युग में जिस घर में कोई पुरुष ना हो उन महिलाओं को हर कोई प्रताड़ित करना व शोषण की वस्तु समझता है।

किंतु इन पांच बहनों ने हालात का डटकर मुकाबला किया और अनुसूचित जाति से होने के कारण सामाजिक अपमान भी झेला जिससे उनकी अन्याय से लड़ने की क्षमता में वृद्धि हुई और उन्होंने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी लेकिन गरीबी के कारण उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई! उन्होंने सन 2005 में किशोरी उत्थान परियोजना में गांव-गांव जाकर किशोरियों को प्रशिक्षण भी दिया सन 2008 में उनके आचरण और व्यवहार से प्रभावित होकर उत्तरकाशी जिले के अध्यापक श्री कोमल कुमार जी ने उनसे विवाह प्रस्ताव देकर शादी की किंतु घरेलू कामकाज के साथ साथ इन्होंने समाज सेवा का कार्य भी जारी रखा !

उनके कार्यों को देखते हुए सन 2019 में बहुजन समाज पार्टी ने इनको नगर अध्यक्ष के पद से सम्मानित किया । उन्होंने महिलाओं व लड़कियों को अपने बहुजन समाज के महापुरुषों व उनकी शिक्षा के बारे में जागरूक किया ,उनका सहयोग और मार्गदर्शन किया उनके प्रयासों के द्वारा ही उत्तरकाशी में वर्षों से जो अंबेडकर जयंती नहीं मनाई जाती थी वह मनाई जाने लगी जिस कारण बहुजन समाज के कई संगठनों ने उनका सम्मान और सराहना की

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