ललित शौर्य को भीलवाड़ा में मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
पिथौरागढ़: उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार ललित शौर्य को भीलवाड़ा राजस्थान में राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। बाल वाटिका द्वारा आयोजित रजत जयंती समारोह में विनायक विद्यापीठ के सभागार में ललित शौर्य को यह पुरस्कार दिया गया। ललित को यह पुरस्कार मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे, महंत श्री मोहन शरण शास्त्री,संपादक बाल वाटिका भैरुंलाल गर्ग, संपादक राष्ट्र किंकर डां विनोद बब्बर,डां हरिपाल सिंह, उदय किरौला जी द्वारा संयुक्त रूप से श्रीफल, शॉल, स्मृति चिह्न, प्रमाण पत्र एवं पच्चीस हजार रुपये का चैक भेंट कर दिया गया। वैभव कालरा स्मृति राष्ट्रीय युवा बाल साहित्यकार सम्मान प्राप्त करने वाले ललित उत्तराखंड के पहले बाल साहित्यकार हैं।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने ललित शौर्य के बाल साहित्य में समग्र योगदान की चर्चा की। राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह में ललित के मोबाईल नहीं, पुस्तक दो अभियान को साहित्यकारों ने खूब सराहा। ललित यह अभियान विगत 5 वर्षों से चला रहे हैं।उन्होंने इस अभियान के तहत अब तक विभिन्न माध्यमों से बाल साहित्य की 25 हजार से अधिक पुस्तकें निःशुल्क रूप से बाल पाठकों तक पहुंचाने का काम किया है।
इनकी रचनाएं देश एवं विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रही हैं। इनकी रचनाओं का अनुवाद तेलगु, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, उर्दू, पंजाबी, अंग्रेजी, उड़िया, कुमाउनी, गढ़वाली, समेत अनेक भारतीय भाषाओं एवं बोलियों में हो चुका है। शौर्य की इस उपलब्धि पर सीमांत के साहित्यकारों में खुशी की लहर है।
प्रकाशित कृतियाँ: दादाजी की चौपाल, फॉरेस्ट वॉरियर्स जल की पुकार, द मैजिकल ग्लब्ज, जादुई दस्ताने, कोरोना वॉरियर्स, गंगा के प्रहरी, स्वच्छता ही सेवा, परियों का संदेश, स्वच्छता के सिपाही, बाल तरंग, गुलदार दगड़िया सृजन सुगन्धि।