प्रो. मैखुरी को राज्य स्थापना दिवस पर लौह पुरुष पं. देवराम नौटियाल पर्यावरण सम्मान से नवाजा जाएगा
गौचर / चमोली (ललिता प्रसाद लखेड़ा): उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस 09 नवंबर 2023 को पर्यावरण मेला नन्दासैंण में हेमवती नन्दन बहुगुणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल में पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष वैज्ञानिक प्रोफेसर राकेश कुमार मैखुरी को इस वर्ष के लौह पुरुष पं. देवराम नौटियाल पर्यावरण सम्मान से नवाजा जाएगा।
यह जानकारी लौह पुरुष पं. देवराम नौटियाल फाउंडेशन के अध्यक्ष पद्मश्री कल्याण सिंह रावत एवं सचिव भुवन नौटियाल ने देते हुये बताया कि सन् 1999 से प्रति वर्ष यह सम्मान पर्यावरण के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाली विभूतियों को दिया जाता है। फाउंडेशन अपने को गौरवान्वित समझ रहा है कि दुनिया के चुनिंदा पर्यावरण वैज्ञानिकों में से एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. मैखुरी को सम्मानित करने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है।
बता दें कि जनपद चमोली गढ़वाल के कर्णप्रयाग के समीप ग्राम लंगासू में जन्मे डा. मैखुरी ने हिमालयन पर्यावरण और विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय शोध कार्य किये है। वे विगत 38 वर्षों से गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान श्रीनगर गढ़वाल जो कि वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार का स्वायत्तशासी उपक्रम है, में वैज्ञानिक इंचार्ज के रूप में उत्तराखंड हिमालय क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण व विस्तृत शोध कार्य जो हिमालय क्षेत्र में पर्यावरण क्षेत्र, पर्यावरण सतत विकास पारंपरिक पर्यावरण संरक्षण प्राकृतिक जलस्रोतों के संरक्षण और विकास के अनेक शोध पत्र व पुस्तकें लिखी है।
डॉ. राकेश कुमार मैखुरी द्वारा लगभग 440 से अधिक प्रकाशन सम्पन्न किये गये हैं। जिसमें 07 साल महत्वपूर्ण पुस्तकें व कई सम्पादित पुस्तकों में उनके विद्वतपूर्ण अध्याय प्रकाशित हुये हैं। डॉ. मैखुरी द्वारा 220 से अधिक शोध पत्र जो राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हैं। यूजीसी नई दिल्ली से प्रतिष्ठा प्राप्त इन पत्रिकाओ में इतने लेख पत्र विचार किया जाना बेहद गौरवपूर्ण है।
अपने शोध और प्रकाशन क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के क्षेत्र में डॉ. मैखुरी दुनिया भर के 10 शीर्ष वैज्ञानिकों में उन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। उन्हें पर्यावरण, वन, एवं जलवायु मंत्रालय भारत सरकार का प्रतिष्ठित पुरस्कार “एमीनेट साइंटिस्ट अवार्ड” दिया गया है। 2005 मे उन्हें उत्तराखंड सरकार द्वारा पर्यावरण पुरस्कार से नवाजा गया।
इसके अलावा वे कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय – अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण शोध, सतत विकास से संबंधित समितियों के सदस्य हैं। उन्हें दुनिया के 02 प्रतिशत वैज्ञानिकों में सम्मिलित होने का गौरव प्राप्त है। जिन्हें हिमालय पर्यावरण, विकास पर शोधपूर्ण लेखन की उत्कृष्टता प्राप्त है।