हर भारतीय नागरिक के लिए इनकम टैक्स (Income Tax) जमा करना एक अहम जिम्मेदारी है। अगर आपकी सालाना कमाई टैक्स के दायरे में आती है, तो टैक्स देनदारी को पूरा करना बेहद जरूरी हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आपकी कमाई 16 लाख रुपये है, तो सही प्लानिंग और निवेश (Investment) के जरिए आप अपनी टैक्स देनदारी को शून्य (Zero Tax on Salary) कर सकते हैं? इसके लिए आपको रीइम्बर्समेंट (Reimbursement) और सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव (Changes in Salary Structure) जैसे विकल्पों का समझदारी से इस्तेमाल करना होगा। आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं कि यह कैसे संभव है।
सैलरी स्ट्रक्चर को बनाएं टैक्स-फ्रेंडली
टैक्स में छूट (Tax Exemption) पाने का सबसे आसान तरीका है अपनी सैलरी के ढांचे को स्मार्ट तरीके से तैयार करना। हर साल की शुरुआत में आपको यह मौका मिलता है कि अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा रीइम्बर्समेंट और कुछ हिस्सा टैक्सेबल सैलरी (Taxable Salary) के रूप में ले सकें।
रीइम्बर्समेंट में कई शानदार विकल्प मौजूद हैं, जैसे कन्वेंस (Conveyance), एलटीए (LTA), फूड कूपन (Food Coupons), इंटरनेट बिल (Internet Bill), फोन बिल, पेट्रोल खर्च, और एचआरए टैक्स डिडक्शन (HRA Tax Deduction)। ये सभी आपके टैक्स को कम करने में मदद करते हैं।
रीइम्बर्समेंट से टैक्स बचाने का तरीका
कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को रीइम्बर्समेंट के रूप में कई सुविधाएं देती हैं। इनका सही इस्तेमाल कर आप अपनी टैक्स देनदारी को काफी हद तक कम कर सकते हैं। चलिए इसे विस्तार से देखते हैं:
- कन्वेंस रीइम्बर्समेंट (Conveyance Reimbursement)
कंपनियां कर्मचारियों को आने-जाने के खर्च के लिए 1 से 1.5 लाख रुपये तक का कन्वेंस रीइम्बर्समेंट देती हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपको 1.5 लाख रुपये मिलते हैं, तो यह पूरी राशि नॉन-टैक्सेबल (Non-Taxable) होगी, यानी इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। - इंटरनेट और फोन बिल
आज के डिजिटल दौर में इंटरनेट ब्रॉडबैंड (Internet Broadband) हर किसी की जरूरत है। एक अच्छा ब्रॉडबैंड प्लान 700-1000 रुपये महीने का होता है। कई कंपनियां इसे रीइम्बर्समेंट के तौर पर देती हैं। अगर आपकी सैलरी में यह हिस्सा शामिल नहीं है, तो इसे जोड़कर आप सालाना 12,000 रुपये तक की टैक्स छूट (Internet Broadband Tax Exemption) पा सकते हैं। - फूड और एंटरटेनमेंट रीइम्बर्समेंट
पहले फूड कूपन के रूप में मिलने वाला यह लाभ अब खाने-पीने के बिल के आधार पर लिया जा सकता है। इसके तहत आप हर महीने 2000 रुपये, यानी सालाना 24,000 रुपये तक का रीइम्बर्समेंट (Food or Entertainment Reimbursement) हासिल कर सकते हैं। - अन्य रीइम्बर्समेंट विकल्प
कई कंपनियां यूनीफॉर्म, फ्यूल (Fuel), किताबें (Books), मैगजीन, और अखबार जैसे खर्चों के लिए भी रीइम्बर्समेंट देती हैं। इन सबको मिलाकर आप हर महीने 3000-4000 रुपये, यानी सालाना 36,000 रुपये तक की टैक्स बचत कर सकते हैं।
टैक्स डिडक्शन के अतिरिक्त लाभ
नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत भी आप कुछ खास डिडक्शन का फायदा उठा सकते हैं:
- स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction): हर नौकरीपेशा व्यक्ति को 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है, चाहे सैलरी कितनी भी हो।
- एनपीएस कॉन्ट्रिब्यूशन (NPS Contribution): नियोक्ता के जरिए एनपीएस में निवेश कर आप अपनी बेसिक सैलरी का 14% तक टैक्स छूट (80CCD(2)) ले सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपकी बेसिक सैलरी 8 लाख रुपये है, तो 1,12,000 रुपये तक की छूट संभव है।
कुल मिलाकर कितना टैक्स बचेगा?
अब हिसाब लगाते हैं। ऊपर बताए गए रीइम्बर्समेंट से आप 2.22 लाख रुपये तक का लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा डिडक्शन (Tax Deduction Rules) से 1,87,000 रुपये की छूट मिल सकती है। यानी कुल मिलाकर 4,09,000 रुपये की राशि पर आपको टैक्स नहीं देना होगा। अगर आपकी सालाना सैलरी 16 लाख रुपये (Zero Tax on Rs. 16 Lakh Salary) है, तो बाकी बची 11,91,000 रुपये की टैक्सेबल सैलरी पर नई टैक्स व्यवस्था के तहत 12 लाख तक की आय टैक्स-फ्री है। इस तरह सही प्लानिंग से आप 16 लाख की सैलरी पर भी शून्य टैक्स दे सकते हैं।