Uttarakhand : बारिश से पहाड़ों पर जनजीवन अस्त-व्यस्त, केदारनाथ यात्रा रोकी

उत्तराखंड में हो रही बारिश से पहाड़ों पर जनजीवन अस्त-व्यस्त
बारिश से पहाड़ों पर जनजीवन अस्त-व्यस्त, केदारनाथ यात्रा रोकी

देहरादून। उत्तराखंड में रविवार सुबह से हो रही बारिश से पहाड़ों पर जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। केदारनाथ पैदल मार्ग पर गदेरे (छोटे नाले) उफान पर आ गए हैं। भारी बारिश को देखते हुए रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने सुबह करीब 10:30 बजे केदारनाथ यात्रा रोक दी। यात्रियों को सोनप्रयाग में ही रोक दिया गया। साथ ही सोनप्रयाग-गौरीकुंड के बीच चलने वाली शटल टैक्सी सेवा के वाहन के ऊपर पत्थर गिरने से चालक की मौत हो गई।

इन जिलों में बारिश का ऑरेंज अलर्ट

दक्षिण पश्चिम मानसून तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। इसके प्रभाव से अगले पांच दिन पूरे देश में झमाझम बरसात होगी। वहीं उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में भी आज रविवार को तेज बौछारों के साथ भारी बारिश हुई। इसके साथ ही उत्तराखंड में मानसून औपचारिक तौर पर प्रवेश कर चुका है।

मौसम विभाग ने नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर, देहरादून, टिहरी और पौड़ी जिलों में कहीं-कहीं तेज बौछारों के साथ भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में कई दौर की बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने कहा, अगले कुछ दिन प्रदेशभर में बारिश होगी।

बारिश के बाद रोकी गई केदारनाथ यात्रा, प्रशासन का आदेश

रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के कई जिलों में भारी बारिश हुई है। मैदानी और पहाड़ी दोनों ही इलाकों में रूक-रूक कर बारिश हो रही है। इस बीच प्रशासन ने फिलहाल केदारनाथ यात्रा को रोक दिया है। सोनप्रयाग में केदारनाथ यात्रा को रोका गया है।  भारी बारिश से बने हालात को देखते हुए श्रद्धालुओं को सोनप्रयाग में रोका गया। रुद्रप्रयाग जिले में हुई भारी बारिश को देखते हुए प्रशासन ने यह यह निर्णय लिया है। रुद्रप्रयाग के डीएम मयूर दीक्षित ने मीडिया को यह जानकारी दी है। उत्तराखंड के कई जिलों में काफी बारिश हुई है। अनेक स्थानों पर भू स्खलन के कारण रास्ते बन्द हो गए हैं। मैदानी इलाकों में नालों की सफाई न होने के कारण लोगों के घरों में पानी घुसने से समस्या खड़ी हो गई है। जबकि पर्वतीय इलाकों में भू स्खलन के कारण सड़कें टूट रही हैं और पहाड़ों से बड़े बोल्डर सड़कों पर गिरने से आवाजाही पर असर पड़ा है। केदारनाथ यात्रा अगले आदेश तक रोक दी गई है। उत्तरकाशी में खेत में काम कर रहे तीन लोग आकाशीय बिजली की चपेट में आने से घायल हो गए हैं।  

राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रविवार को राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के कंट्रोल रूम में पहुंचे और राज्य में भारी बारिश से बने हालात का जायजा लिया। आपदा प्रबंधन विभाग का कार्यालय सचिवालय में स्थित है। यहां सीएम अचानक ही पहुंचे थे और अधिकारियों से उन्होंने जानकारी हासिल की है। सीएम ने मौसम के हालात, बारिश, बाढ़ के हालात और बाढ़ से हुए नुकसान की जानकारी ली। मौसम विभाग के मुताबिक, हरिद्वार में पिछले 24 घंटे में 78एमएम बारिश दर्ज की गई है। इसी तरह देहरादून में 33.2 और उत्तरकाशी में 27.7 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।  आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को सीएम ने निर्देश देते हुए कहा कि राज्य में आगे भारी बारिश के हालात बन रहे हैं। सीएम ने निर्देश देते हुए कहा कि सभी राज्यों से म्यूचुअल कम्यूनिकेश और कोऑर्डिनेशन बनाए रखें ताकि आपातकालीन हालत में समय पर कार्रवाई की जा सके।

सीएम ने इसके साथ ही अधिकारियों का आदेश दिया है कि हमेशा अलर्ट की स्थिति में रहें ताकि लोगों को समय रहते किसी भी आपदा से बचाया जा सकें। इसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नदियों के नजदीक रहने वाले लोगों को वहां से निकालना चाहिए। सीएम ने कहा कि लोगों को पुनर्वास करने की स्थिति में उनके लिए बेहतर सुविधा होनी चाहिए। सीएम ने कहा है कि राहत कैंपों में लोगों के रहने और खाने की समुचित व्यवस्था करें। उनके विशेष ध्यान रखा जाए। सीएम ने इसके साथ कहा कि नालियों को साफ-सुथरा रखा जाए ताकि पानी जमा ना हो। सीएम ने यह भी निर्देश दिया है कि संवेदनशील जगहों के लिए जेसीबी की तैनाती रखें।

मौसम विभाग ने कहा है कि मानसून काफी तेजी से बढ़ रहा है। देहरादून, टिहरी, पौड़ी, चंपावत, पिथौरागढ़ समेत कुछ अन्य जनपदों में भारी बारिश हो सकती है। उत्तरकाशी के पुरोला के कंडियाल गांव में आकाशीय बिजली गिरने से एक शक्स की मौत हो गई है। 22 जून को डीजीपी अशोक कुमार ने बताया था कि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान 30 लाख से ज्यादा यात्रियों ने चार धाम की यात्रा की है। इसमें से 10 लाख से ज्यादा लोगों ने अब तक केदारनाथ की यात्रा की है। उन्होंने आगे यह भी कहा था कि इस यात्रा के लिए जा रहे श्रद्धालुओं को सुरक्षित और आसान सफर मुहैया कराने की कोशिशें की जा रही हैं।

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