इस पत्थर की जाती हैं माता के स्वरूप में पूजा

देहरादून: पर्वतीय अंचलो के गांव में आज भी लोग आस्था व मान्यताओं को मानते हैं एक ऐसी मान्यता जहां पत्थर को माता के प्रतिमा मानकर पूजा जाता हैं। यह परम्परा जौनपुर के सकलाना पट्टी हटवाल गांव की हैं। पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी हटवाल गांव पहुचे जहां उन्होंने इस पत्थर की जानकारी ली, कहा गांव के बुजुर्गों का कहना हैं कि जहां आज नागराजा देवता का मंदिर हैं वहां कभी खेती का काम होता था इस खेत में बहुत बड़ा पत्थर हैं यहां के लोगो ने उसे तोड़ने की कोशिश की लेकिन वह पत्थर नही टूटा। पत्थर ना टूटना गांव के लोगो में एक रहस्य बन गई।
बताते हैं हम लोग पंडित के पास गए पंडित ने बताया यह पत्थर माता की शक्ति है जब लोग इस पत्थर के पास आये और उन्होंने कहा अगर माता का स्वरूप है तो पत्थर खड़ा हो जाना जैसे ही सब्बल से कोशिश की पत्थर खड़ा हो गया तब से इस पत्थर को माता के रूप में माना जाता हैं और इसकी पूजा अर्चना की जाती हैं। मंदिर के पुजारी बिजेंद्र सिंह हटवाल का कहना है हमारे पूर्वज कहते थे जब मंदिर में पूजा की जाती थी तो माता का वाहन शेर इस पत्थर के पीछे से देखता रहता था और इसी पत्थर की परिक्रमा करके चला जाता था किसी को कोई नुकसान नहीं पहुचाता था सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र हटवाल कहते हैं इस कथा को हमारे पूर्वज बताया करते थे वही नेयुके ब्लाक यूथ समन्वयक अनिल हटवाल कहते हैं ये मान्यता हमारे पूर्वजों ने चलाई हैं जिसे हम आगे बड़ा रहे हैं।
कार्यक्रम में गोविंद सिंह हटवाल, इंद्रसिंह हटवाल, अनूप थपलियाल, नवीन भारती, राकेश पंवार, पंचम हटवाल,सरोप सिंह नेगी, दीपक सिंह एवं अन्य थे।