Rudranath Temple: विधि विधान के साथ ब्रह्म मुहूर्त में खुले चतुर्थ केदार भगवान रूद्रनाथ मंदिर के कपाट

हिमालय क्षेत्र में स्थित चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शनिवार को ब्रह्ममुहुर्त में धार्मिक परंपरानुसार विधि-विधान से खोल दिए गए हैं। इस दौरान मंदिर में पहुंचे करीब 500 श्रद्धालु कपाट खुलने के साक्षी बने। अब छह माह तक भगवान शिव के मुख के दर्शन श्रद्धालु कर सकेंगे। रुद्रनाथ मंदिर को गेंदे के फूलों से सजाया गया है। 
विधि विधान के साथ ब्रह्म मुहूर्त में खुले चतुर्थ केदार भगवान रूद्रनाथ मंदिर के कपाट

गौचर/ चमोली (ललिता प्रसाद लखेड़ा) : चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ मन्दिर के कपाट विधि विधान के साथ ब्रह्म मुहूर्त में आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। अब से 5 माह तक चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ मंदिर के दर्शनार्थ सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच सकेंगे। मुख्य पुजारी जनार्दन तिवारी बताते है कि पंच केदार में से एक चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ भारत का एक मात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां भगवान शंकर के मुख्य दर्शन होते हैं।

गोपेश्वर से लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है विषम परिस्थितियां होने के बावजूद भी हर वर्ष सैकड़ों शिव भक्त भगवान के दर्शनार्थ यहां पहुंचते हैं। मान्यता है कि जो भी यहां पर मनौती मांगते हैं वह भगवान शंकर पूर्ण करते हैं। इस मौके पर मनोज तिवारी, संदीप रावत, मनोज बिष्ट कर्नल बर्तवाल आदि मौजूद रहे।

श्रद्धालुओं के लिए आज भगवान रुद्रनाथ के कपाट खोल दिए गए हैं। मान्यता है कि शिव के मुख के दर्शन भारत में एकमात्र चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम में होते हैं। शास्त्र मान्यता है कि रुद्रनाथ में स्वर्गारोहणी यात्रा पर जा रहे पांडवों को शिव ने मुख के दर्शन दिए थे।

रुद्रनाथ की यात्रा दुर्गम मानी जाती है।समुद्र तल से 11808 मीटर की ऊंचाई पर रुद्रनाथ मंदिर स्थित है। सुबह पुजारी जनार्दन प्रसाद तिवारी की अगुवाई में श्रद्धालु नारद कुंड में स्नान कर भगवान रुद्रनाथ के जलाभिषेक के लिए जल लाए।

सुबह 6.10 मिनट पर पुजारी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खोले। कपाट खुलने के साथ भोलेनाथ के अभिषेक के बाद बुग्याली फूलों से श्रृंगार हुआ।फिर आम श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पूजा अर्चना की। मान्यता है कि शिव के मुख के दर्शन भारत में एकमात्र चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम में होते हैं।

शास्त्र मान्यता है कि रुद्रनाथ में स्वर्गारोहणी यात्रा पर जा रहे पांडवों को शिव ने मुख के दर्शन दिए थे। रुद्रनाथ की यात्रा दुर्गम मानी जाती है। गोपेश्वर के मंडल-चोपता हाईवे पर तीन किमी की दूरी तय कर सगर गांव से रुद्रनाथ की 19 किमी पैदल यात्रा शुरू होती है। इस यात्रा में पनार सहित अन्य मखमली बुग्याल, बर्फ से आच्छादित पर्वत श्रृंखला देखते बनती है।
 
रुद्रनाथ भगवान गुफा में विराजमान

केदारनाथ वन्य जीवप्रभाग क्षेत्र में होने के चलते यहां पर दुर्लभ कस्तूरा मृत, स्नो लेपर्ड, भालू आदि वन्य जीव अपने प्राकृतिक आवास में विचरण करते हुए दिख सकते हैं। इस धार्मिक यात्रा में सगर गांव से घोडे़-खच्चर भी उपलब्ध हैं।

इन दिनों इस यात्रा मार्ग पर पितृधार से आगे बर्फ भी जमी हुई है। हालांकि रुद्रनाथ धाम में मंदिर के आसपास बर्फ नहीं है। रुद्रनाथ भगवान गुफा में विराजमान हैं। इस गुफा को मंदिर का आकार दिया गया है। कपाट खुलने के अवसर पर l

सेनि कर्नल डीएस बर्तवाल, संकल्प अभियान के अध्यक्ष मनोज बिष्ट, संरक्षक मनोज तिवारी, संदीप रावत आदि मौजूद थे। इस दौरान मंदिर के समीप श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन भी हुआ।

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