UCC का ड्राफ्ट तैयार, जल्द सरकार को सौंपा जाएगा, सभी जाति-धर्म के लिए होगा हितकारी : डा. रंजना

देहरादून/नई दिल्ली। उत्तराखंड के लिए यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। जिसे बहुत जल्द एक्सपर्ट कमेटी द्वारा सरकार को सौंप दिया जाएगा। ड्राफ्ट तैयार है तथा इसे छपने के लिए प्रेस को दिया जा रहा है। उक्त आशय की जानकारी आज यूसीसी की एक्सपर्ट कमेटी की अध्यक्षा जस्टिस डॉ. रंजना देसाई द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में दी गई। उन्होंने कहा कि आज उन्हें पत्रकार वार्ता की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि इसके बारे में तमाम तरह के समाचार आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए 27 मई 2022 को समिति गठित की गई थी जिसकी पहली बैठक 4 जुलाई को हुई। समिति की अब तक कुल 63 बैठकें हुई है। उन्होंने कहा कि हमने सभी की राय जानने के लिए एक उप समिति गठित की थी जिसने 143 स्थानों पर जाकर राजनीतिक दलों के नेताओं, धर्मगुरुओं और संवैधानिक संस्थाओं से संपर्क कर उनकी राय जानने की कोशिश की। देश और प्रदेश के सभी धर्म जाति और समुदाय के लोगों से उनके व्यक्तिगत मामले के कानूनों को जानने समझने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट कमेटी ने एक साल की कड़ी मेहनत के बाद यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया है तथा इसमें सभी धर्मकृजाति, संप्रदाय के लोगों के साथ महिलाओं व बच्चों तथा अक्षम लोगों के हितों का ख्याल रखा गया है। उन्होंने इस सवाल के जवाब में कि कमेटी सरकार को कब ड्राफ्ट सौंपेगी, कोई तारीख नहीं बताई। बस इतना कहा कि थोड़ा इंतजार कीजिए ड्राफ्ट तैयार हो चुका है छपने को प्रेस में दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यूसीसी के ड्राफ्ट में सभी के हितों का ख्याल रखा गया है तथा यह सभी प्रदेशवासियों के लिए हितकारी होगा। उल्लेखनीय है कि आज 30 जून को ड्राफ्ट सरकार को सौंपने की चर्चा आम थी। लेकिन अब साफ हो गया है कि यह ड्राफ्ट अभी दो-चार दिन बाद सौंपा जाएगा।
मिले ढाई लाख से अधिक सुझाव
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट तैयार करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। विशेषज्ञ समिति ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने में जुटी हुई थी। मई 2022 में समिति का गठन हुआ था। गठन से लेकर अब तक समिति ढाई लाख से अधिक सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त कर चुकी है। सभी 13 जिलों में हितधारकों के साथ सीधे संवाद कर चुकी है। नई दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों से भी चर्चा हो चुकी है।
यूसीसी जनादेश का सम्मान : सीएम धामी
देहरादून। राजधानी दून में यूसीसी को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि हमने चुनाव से पूर्व प्रदेश की जनता के सामने यह प्रस्ताव रखा था जिस पर जनता ने हमें बहुमत के साथ जिता कर अपने समर्थन की मोहर लगाई थी। अब जनता जनार्दन की भावनाओं का सम्मान करते हुए हम इस पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द राज्य में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जब बाबा भीमराव अंबेडकर संविधान बना रहे थे तब उन्होंने देश में समान नागरिक और समान कर्तव्यों के साथ समान कानून की कल्पना की थी। इसीलिए यूसीसी संविधान सम्मत है।
समान नागरिक संहिता से आएगा इन मामलों पर असर
- शादी की उम्र: यूसीसी में सभी धर्मों की लड़कियों की विवाह योग्य उम्र एक समान करने का प्रस्ताव है। पर्सनल लॉ और कई अनुसूचित जनजातियों में लड़कियों की विवाह की उम्र 18 से कम है। यूसीसी के बाद सभी लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ सकती है।
- विवाह रजिस्ट्रेशन : देश में विवाह को पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है। यूसीसी में सुझाव है कि सभी धर्मों में विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। इसके बिना सरकारी सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा।
- बहुविवाह : कई धर्म और समुदाय के पर्सनल लॉ बहुविवाह को मान्यता देते हैं। मुस्लिम समुदाय में तीन विवाह की अनुमति है। यूसीसी के बाद बहु-विवाह पर पूरी तरह से रोक लग सकती है।
- लिव इन रिलेशनशिपः इसके लिए घोषणा करने के बाद अभिभावकों को भी बताना होगा। इसके साथ सरकार को ब्योरा देना जरूरी हो सकता है।
- हलाला और इद्दत खत्म: मुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की रस्म है। यूसीसी के कानून बनाकर लागू किया तो यह खत्म हो जाएगा।
- तलाक : तलाक लेने के लिए पत्नी व पति के आधार अलग-अलग हैं। यूसीसी के बाद तलाक के समान आधार लागू हो सकते हैं।
- भरण-पोषण: पति की मौत के बाद मुआवजा राशि मिलने के बाद पत्नी दूसरा विवाह कर लेती है और मृतक के माता-पिता बेसहारा रह जाते हैं। यूसीसी का सुझाव है कि मुआवजा विधवा पत्नी को दिया जाता है, तो बूढ़े सास-ससुर के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी उस पर होगी। वह दूसरा विवाह करती है तो मुआवजा मृतक के माता-पिता को दिया जाएगा।
- गोद लेने का अधिकार: यूसीसी के कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा।
- बच्चों की देखरेख : यूसीसी में सुझाव है कि अनाथ बच्चों की गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान व मजबूत बनाया जाए।
- उत्तराधिकार कानून: कई धर्मों में लड़कियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार हासिल नहीं है। यूसीसी में सभी को समान अधिकार का सुझाव है।
- जनसंख्या नियंत्रण: यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी सुझाव है। इसमें बच्चों की संख्या सीमितकरने, नियम तोड़ऩे पर सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित करने का सुझाव है।
यूसीसी पर भारत के संविधान की मूल भावना के अनुरूप ही निर्णय होने हैं। समिति इस पर काम कर रही है। सबके हित में निर्णय आएगा। उत्तराखंड से इसकी शुरुआत हुई है। देवभूमि इसकी अगुआई कर रही है। हमारी यह अपेक्षा है कि आने वाले समय में देश भर में यूसीसी लागू हो।
- पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूसीसी को लेकर जिस स्पष्टता के साथ समूचे देश के सामने पार्टी का नजरिया पेश किया है, उससे प्रदेश भाजपा संगठन व सरकार का हौसला चरम पर है। जल्द रिपोर्ट सरकार को मिल जाएगी। उत्तराखंड में यूसीसी हर हाल में लागू करेंगे।
- महेंद्र भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा