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Uttarakhand News : 1984 के बाद पहली बार, उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों की होगी जांच पड़ताल

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देहरादून : उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों को लेकर एक बड़ी पहल शुरू होने जा रही है। शासन ने राज्य में फैली इन संपत्तियों का सर्वे और मैपिंग करने का फैसला लिया है। क्या आपको पता है कि आखिरी बार इन संपत्तियों की जानकारी एकीकृत उत्तर प्रदेश के दौर में, यानी 1984 में जुटाई गई थी? उसके बाद से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब समय आ गया है कि इन संपत्तियों का हिसाब-किताब फिर से सामने आए।

सूत्रों की मानें तो यह काम जिला प्रशासन के सहयोग से पूरा होगा, और खास तौर पर चार जिलों – देहरादून, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर और हरिद्वार – पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इन जिलों की 27 तहसीलों में से 20 में वक्फ की संपत्तियां मौजूद हैं, जिनमें ज्यादातर सुन्नी समुदाय से जुड़ी हैं।

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इन संपत्तियों से हर साल करीब एक करोड़ रुपये की आय होती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह आय पूरी तरह पारदर्शी तरीके से इस्तेमाल हो रही है? शासन के अधिकारियों का कहना है कि अब वक्फ संपत्तियों का न सिर्फ सर्वे होगा, बल्कि कई अहम जानकारियां भी जुटाई जाएंगी।

जैसे, इन संपत्तियों का मौजूदा स्वरूप क्या है? कितनी जमीन और कितने भवन हैं? इनका क्षेत्रफल कितना है? कहीं पर अतिक्रमण तो नहीं हो रहा? और सबसे जरूरी, इनका उपयोग किस तरह से हो रहा है? इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह कदम न केवल संपत्तियों की स्थिति को स्पष्ट करेगा, बल्कि उनके प्रबंधन में भी सुधार ला सकता है।

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1984 के बाद से वक्फ संपत्तियों पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। उस समय एकीकृत उत्तर प्रदेश में जो डेटा जुटाया गया था, वह अब पुराना पड़ चुका है। समय के साथ इन संपत्तियों की स्थिति में बदलाव आया होगा, कुछ पर अतिक्रमण की शिकायतें भी सामने आई हैं। ऐसे में यह सर्वे न सिर्फ जरूरी है, बल्कि देर से उठाया गया कदम भी कहा जा सकता है।

अधिकारियों का मानना है कि मैपिंग के जरिए हर संपत्ति का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार होगा, जिससे भविष्य में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। क्या यह कदम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में नई उम्मीद लेकर आएगा, या फिर यह सिर्फ कागजी कार्रवाई बनकर रह जाएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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