गुप्त नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व
डिजिटल डेस्क : आप सभी धर्म प्रेमियों को सादर प्रणाम आपको अवगत कराना चाहूंगी 11 जुलाई 2021 से गुप्त नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, साल में चार बार नवरात्रि का आगमन होता है। नवरात्रि में देवी के नौ रुपों की पूजा की जाती है। ठीक इसी तरह गुप्त नवरात्री में मां दुर्गा के दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्री के दौरान भक्तगण त्रिपुरा भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बंगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। इस पूजा से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
11 जुलाई से आषाढ़ महीने की गुप्त नवरात्र शुरू हो रही हैं। इस बार नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। 11 जुलाई को सुबह 5:31 बजे से रात 2:20 बजे तक रहेगा और उस दिन रवि पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है, यह विशेष संयोग बेहद शुभकारी है और सारे काम सिद्ध करने वाला है। इसके अलावा नवरात्र में पूजा की शुरुआत आर्द्रा नक्षत्र में होने से योग और उत्तम हो गया है।
गुप्त नवरात्रि क्या हैं?
हिन्दू धर्म के अनुसार हर वर्ष चार नवरात्र होते है जिनमें से दो को प्रत्यक्ष नवरात्र कहा गया है क्योंकि इनमें गृहस्थ आश्रम से जुड़े जातक पाठ करते हैं वहीं दो को गुप्त नवरात्र कहा गया है, जिनमें साधक-संन्यासी, सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा करने वाले लोग, तांत्रिक आदि देवी मां की उपासना करते हैं। हालांकि चारों नवरात्र देवी सिद्धि प्रदान करने वाली होती हैं, लेकिन गुप्त नवरात्र के दिनों में देवी की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिनका तंत्र शक्तियों और सिद्धियों में विशेष महत्व है। वहीं, प्रत्यक्ष नवरात्र में सांसारिक जीवन से जुड़ी चीजें देने वाली देवी के 9 रूपों की पूजा होती है। गुप्त नवरात्र में सामान्य लोग भी किसी विशेष इच्छा की पूर्ति या सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र में साधना कर सकते हैं।
गुप्त नवरात्रि पूजा विधि
सबसे पहले नित्य कर्म से निवृत्त होकर हम पूजा का संकल्प लेते हैं। गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हम कलश स्थापना से करते हैं। कलश स्थापना के उपरांत मां दुर्गा की श्री मूर्ति को लाल रंग के पाटे पर सजाते हैं। गंगा जल से स्नान कराकर रोली, कुमकुम, अक्षत, फूल, भोग लगाएं व घी के दीपक जलाएं। प्रतिदिन सुबह-सुबह मां दुर्गा की पूजा करें। अष्टमी और नवमी को नौ कन्याओं को भोजन कराकर नवरात्रि के उपवास का परायण कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी
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