जयपुर : राजस्थान की सियासत में इन दिनों हलचल मची हुई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ का एक बयान सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक चर्चा का विषय बन गया है। जयपुर में आयोजित बिहार दिवस समारोह में राठौड़ ने पार्टी की महिला नेता सुमन शर्मा को ‘एक्सपोर्ट क्वालिटी’ कहकर संबोधित किया।
यह टिप्पणी जहां बीजेपी के लिए प्रचार का हिस्सा थी, वहीं विपक्षी कांग्रेस ने इसे महिला अपमान का मुद्दा बनाकर बीजेपी पर निशाना साधा है। आइए, इस पूरे विवाद को करीब से समझते हैं।
बयान ने क्यों बटोरी सुर्खियां?
जयपुर में बिहार दिवस के मंच से बोलते हुए मदन राठौड़ ने कहा कि बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकेगी। इस दौरान उन्होंने सुमन शर्मा का जिक्र करते हुए कहा कि वह ‘एक्सपोर्ट क्वालिटी’ की नेता हैं और उन्हें बिहार में पार्टी के प्रचार के लिए भेजा जाएगा। राठौड़ का यह बयान मंच पर तो हल्का-फुल्का लगा, लेकिन जैसे ही इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, सियासत गरमा गई। कांग्रेस ने इसे महिलाओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करार दिया और राठौड़ से माफी की मांग की।
कांग्रेस का पलटवार और सियासी हमला
कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राठौड़ के बयान को शर्मनाक ठहराया। उन्होंने कहा कि ऐसी भाषा बीजेपी नेताओं की महिलाओं के प्रति सोच को उजागर करती है। जूली ने जोर देकर कहा कि राठौड़ को अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि यह बयान न केवल सुमन शर्मा का, बल्कि समस्त महिलाओं का अपमान है। पार्टी ने इसे बिहार चुनाव से पहले बीजेपी को घेरने के मौके के रूप में इस्तेमाल किया है।
राठौड़ की सफाई
विवाद बढ़ता देख मदन राठौड़ ने अपनी बात को स्पष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी का अपमान करना नहीं था। राठौड़ के मुताबिक, ‘एक्सपोर्ट क्वालिटी’ का मतलब काबिलियत और गुणवत्ता से था। उन्होंने सुमन शर्मा को बिहार की बेटी और जयपुर की बहू बताते हुए कहा कि वह एक प्रतिभाशाली नेता हैं, जिनकी क्षमता का उपयोग बिहार में पार्टी के लिए किया जा सकता है। राठौड़ ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए वह शब्दों का गलत मतलब निकालकर सियासत कर रहा है।
बिहार चुनाव की गहमागहमी
इस विवाद के पीछे बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां भी एक बड़ा कारण हैं। इस साल सितंबर-अक्टूबर में होने वाले चुनावों को लेकर बीजेपी और सहयोगी दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रहे हैं। बीजेपी हर राज्य से अपने लोकप्रिय नेताओं को बिहार में प्रचार के लिए उतारने की योजना बना रही है।
हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा था कि बिहार में चुनाव सम्राट चौधरी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हालांकि, पार्टी हाईकमान ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात स्पष्ट की है। बीजेपी इस तरह के बयानों से मुख्यमंत्री के चेहरे पर असमंजस की स्थिति से बचने की कोशिश कर रही है।
जनता की नजर में क्या है इस विवाद का मतलब?
यह पूरा मामला केवल एक बयान तक सीमित नहीं है। यह दिखाता है कि भारतीय राजनीति में शब्दों का कितना गहरा असर हो सकता है। जहां बीजेपी इसे अपनी रणनीति का हिस्सा बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे महिला सम्मान से जोड़कर मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं। कुछ का मानना है कि यह एक सामान्य टिप्पणी थी, जिसे तूल दिया जा रहा है, तो कुछ इसे महिलाओं के प्रति असंवेदनशील रवैया मानते हैं।
बिहार चुनाव से पहले इस तरह के विवाद सियासी माहौल को और गर्म करने वाले हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस मौके को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेंगे। सवाल यह है कि क्या यह बयान मतदाताओं के मन में कोई बड़ा बदलाव लाएगा, या फिर यह सियासी शोर जल्द ही थम जाएगा? फिलहाल, सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि राठौड़ और बीजेपी इस विवाद को कैसे संभालते हैं।