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Uttar Pradesh : राणा सांगा के अपमान को लेकर करणी सेना का सख्त संदेश, अखिलेश यादव तक को दी धमकी

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Uttar Pradesh : आगरा के गढ़ी रामी क्षेत्र में शनिवार को एक अनोखा माहौल देखने को मिला, जब पीले और केसरिया स्कार्फ में लिपटे करणी सेना और अन्य क्षत्रिय संगठनों के लोग सड़कों पर उतर आए। यह कोई साधारण सभा नहीं थी, बल्कि राजपूत गौरव और इतिहास के सम्मान की लड़ाई थी। इस दिन राणा सांगा की जयंती पर आयोजित रक्त स्वाभिमान सम्मेलन ने न केवल उत्साह भरा, बल्कि एक बड़े विवाद को भी हवा दी। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजी लाल सुमन के बयान ने क्षत्रिय समुदाय के बीच आक्रोश की आग भड़का दी। आइए, इस घटना के हर पहलू को करीब से समझते हैं।

राणा सांगा पर बयान और भड़का विवाद

कुछ समय पहले रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिसने क्षत्रिय संगठनों को गहरे ठेस पहुंचाई। सुमन ने दावा किया था कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत बुलाया था। इतना ही नहीं, उन्होंने राजपूत समुदाय के गौरवशाली इतिहास पर सवाल उठाते हुए राणा सांगा को “गद्दार” तक कह दिया। यह बयान क्षत्रिय संगठनों के लिए अपमान का कारण बन गया। करणी सेना और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा जैसे संगठनों ने इसे अपने स्वाभिमान पर हमला माना और सुमन से माफी की मांग की। 

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रक्त स्वाभिमान सम्मेलन 

शनिवार को आगरा में रक्त स्वाभिमान सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें करणी सेना समेत 40 से अधिक क्षत्रिय संगठनों ने हिस्सा लिया। यह आयोजन राणा सांगा की जयंती को समर्पित था, लेकिन सुमन के बयान ने इसे विरोध प्रदर्शन में बदल दिया। प्रदर्शनकारियों ने भगवा और पीले स्कार्फ पहनकर, तलवारें और भाले लहराकर अपने गौरव का प्रदर्शन किया। सड़कों पर नारे गूंजे, और माहौल में गर्व के साथ-साथ गुस्सा भी साफ झलक रहा था। कुछ प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर लगी बैरिकेडिंग को तोड़ दिया और नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया। यह दृश्य आगरा की सड़कों पर इतिहास और आधुनिकता के टकराव को दर्शा रहा था।

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अखिलेश यादव पर धमकी: क्या थी वजह?

विवाद तब और गहरा गया, जब एक प्रदर्शनकारी ने सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गोली मारने की धमकी दे दी। इस व्यक्ति ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा, “राणा सांगा हमारे लिए पिता तुल्य हैं। उनके अपमान को हम कैसे सहन करें? अगर कोई हमारे सम्मान को ठेस पहुंचाएगा, तो हम चुप नहीं रहेंगे।” इस बयान ने न केवल माहौल को और गरम किया, बल्कि प्रशासन को भी हाई अलर्ट पर ला दिया। प्रदर्शनकारी ने सुमन को संसद से बर्खास्त करने की मांग भी उठाई, यह कहते हुए कि ऐसे लोग उनके पूर्वजों का अपमान कर रहे हैं।

प्रशासन की सतर्कता और सुरक्षा इंतजाम

आगरा पुलिस ने इस आयोजन के लिए पहले से ही कड़े इंतजाम किए थे। शहर के डीसीपी सोनम कुमार ने बताया कि त्रिस्तरीय सुरक्षा योजना बनाई गई थी। 24 स्थानों पर पुलिस तैनात थी, और मेरठ, झांसी, मैनपुरी से अतिरिक्त बल बुलाया गया था। सुमन के आवास पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई थी, क्योंकि कुछ समय पहले उनके घर पर तोड़फोड़ की घटना हो चुकी थी। करणी सेना ने धमकी दी थी कि अगर सुमन ने शाम 5 बजे तक माफी नहीं मांगी, तो वे उनके घर की ओर मार्च करेंगे। हालांकि, वरिष्ठ अधिकारियों और स्थानीय नेताओं के हस्तक्षेप के बाद यह मार्च रद्द हो गया, और तनाव कुछ कम हुआ।

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करणी सेना का रुख 

करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष संदीप सिंह ने साफ कहा कि सुमन को अपने बयान के लिए माफी मांगनी होगी। सम्मेलन में यह तय हुआ कि अगर माफी नहीं मिली, तो संगठन आगे की रणनीति बनाएंगे। प्रदर्शन के दौरान तलवारें और हथियार लहराने की घटना पर डीसीपी ने कहा कि इसकी जांच की जाएगी। यह आयोजन केवल राणा सांगा की जयंती तक सीमित नहीं रहा, बल्कि क्षत्रिय समुदाय के स्वाभिमान और इतिहास के प्रति उनकी संवेदनशीलता को भी उजागर कर गया।
 

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