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Robert Vadra : 58 करोड़ की डील में कितना काला धन? वाड्रा केस में ED की जांच ने पकड़ा नया सुराग!

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Robert Vadra : कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के पति और जाने-माने बिजनेस मैन रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर चर्चा में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक पुराने मामले में समन भेजा है। यह समन हरियाणा के शिकोहपुर में हुए एक लैंड डील से संबंधित है, जिसमें वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है।

ईडी ने वाड्रा को 15 अप्रैल को पेश होने का आदेश दिया है। इससे पहले 8 अप्रैल को भी समन जारी हुआ था, लेकिन वाड्रा उस वक्त हाजिर नहीं हुए। इस बार वह अपने घर से पैदल ही ईडी दफ्तर के लिए रवाना हुए और मीडिया से बातचीत में कई गंभीर सवाल उठाए।

क्या बोले वाड्रा?

ईडी दफ्तर जाते समय रॉबर्ट वाड्रा ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता मेरा दोष क्या है। पिछले 20 सालों से मुझे बार-बार बुलाया जा रहा है, लेकिन कुछ भी सामने नहीं आया। अगर कोई सबूत है तो उसे पेश किया जाए।” वाड्रा ने इसे सियासी बदले की कार्रवाई करार दिया और दावा किया कि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

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उन्होंने यह भी कहा कि वह हमेशा जांच में सहयोग करने को तैयार हैं और उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। वाड्रा ने अपनी बात को और मजबूती से रखते हुए कहा कि जब भी वह देश के हित में बोलते हैं या राहुल गांधी संसद में आवाज उठाते हैं, उन्हें निशाना बनाया जाता है।

लैंड डील का पुराना विवाद

यह पूरा मामला 2008 का है, जब वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुड़गांव के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी। बाद में इस जमीन को रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। इस सौदे से हुए भारी मुनाफे ने जांच एजेंसियों का ध्यान खींचा।

ईडी का मानना है कि इस लेनदेन में मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका हो सकती है। एजेंसी इस बात की तहकीकात कर रही है कि इतने कम समय में इतना बड़ा मुनाफा कैसे हुआ। पिछले साल इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया था, और तब से वाड्रा से कई बार पूछताछ हो चुकी है।

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सियासत और जांच का गहराता रंग

वाड्रा ने खुले तौर पर इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। उन्होंने कहा, “जब भी मैं राजनीति में आने की बात करता हूं, पुराने मामले उछाले जाते हैं ताकि असल मुद्दों से ध्यान हटाया जाए।” हाल ही में आंबेडकर जयंती पर वाड्रा ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को फिर से जाहिर किया था। उन्होंने कहा था कि अगर जनता चाहेगी तो वह सक्रिय राजनीति में कदम रखेंगे। उनके इस बयान के ठीक बाद ईडी का समन आना कई सवाल खड़े कर रहा है। वाड्रा का कहना है कि लोग उन्हें प्यार करते हैं और चाहते हैं कि वह राजनीति में आएं, लेकिन हर बार उन्हें रोकने की कोशिश की जाती है।

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क्या होगा अगला कदम?

रॉबर्ट वाड्रा ने दावा किया कि उन्होंने 23,000 से ज्यादा दस्तावेज जांच एजेंसी को सौंपे हैं और कई बार लंबी पूछताछ का सामना किया है। उनके मुताबिक, “इतने दस्तावेज व्यवस्थित करना आसान नहीं, लेकिन मैं हर बार सहयोग करता हूं।” अब सबकी नजर इस बात पर है कि इस बार की पूछताछ में क्या नया मोड़ आता है। क्या यह मामला वाकई वित्तीय अनियमितताओं का है, या इसके पीछे सियासी मंशा छिपी है? यह सवाल हर किसी के मन में है।

लोगों के बीच चर्चा का विषय

रॉबर्ट वाड्रा का यह मामला सिर्फ कानूनी दायरे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सियासत और आम लोगों की चर्चा का हिस्सा बन चुका है। जहां एक तरफ वाड्रा इसे सियासी साजिश बता रहे हैं, वहीं जांच एजेंसी इस मामले को गंभीरता से ले रही है। आने वाले दिनों में इस मामले में क्या नया खुलासा होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

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