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Haryana News : 10 तारीख से लापता थे, 14 को मिले टुकड़ों में शव! क्या नूंह के युवकों की प्लानिंग से हुई हत्या?

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Haryana News : हरियाणा के नूंह जिले में मातम का माहौल है। जयपुर के रेलवे प्लेटफॉर्म पर दो युवकों की लाशें कई टुकड़ों में मिलने से पूरे मेवात क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया है। मृतकों के परिजनों ने हत्या की आशंका जताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। यह घटना न केवल दुखद है, बल्कि कई सवाल भी खड़े करती है। आखिर इन युवकों के साथ ऐसा क्या हुआ कि उनकी जिंदगी इस तरह खत्म हो गई?

जयपुर में फल बेचने वाले दो दोस्तों की दर्दनाक मौत

नूंह जिले के नहेदा गांव के इकराम और मुल्थान गांव के मौसम कई सालों से जयपुर में फल बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। दोनों मेहनती और जिंदादिल इंसान थे, जो अपने बच्चों और परिवार के लिए दिन-रात मेहनत करते थे। कुछ दिन पहले वे अपने गांव से जयपुर के लिए निकले थे। लेकिन गुरुवार को अचानक उनका कोई अता-पता नहीं रहा। परिजनों और पुलिस ने उनकी तलाश शुरू की, लेकिन रविवार को जयपुर के रेलवे प्लेटफॉर्म के पास उनकी लाशें टुकड़ों में मिलीं। यह खबर सुनकर पूरे गांव में कोहराम मच गया।

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हत्या या हादसा? परिजनों ने उठाए सवाल

मृतकों के परिवार वालों का कहना है कि यह कोई सामान्य हादसा नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या है। परिजनों का दावा है कि हत्यारों ने सबूत मिटाने के लिए लाशों को रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया, जिससे वे कई टुकड़ों में बंट गईं। इकराम के ससुर सब्बीर अहमद ने बताया कि उनका दामाद 10 तारीख से लापता था। उन्होंने पुलिस से कई बार संपर्क किया, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। परिवार का कहना है कि पुलिस इसे ट्रेन हादसा बताकर मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। परिजनों ने हरियाणा और राजस्थान सरकार से इस मामले की गहन जांच की गुहार लगाई है।

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बच्चों के सिर से उठा पिता का साया

इस घटना ने न केवल दो परिवारों को तोड़ दिया, बल्कि कई बच्चों के भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा दिया। इकराम का एक बेटा है, जबकि मौसम के चार बच्चे हैं। इन मासूमों के सिर से पिता का साया हमेशा के लिए उठ गया। परिजनों ने सरकार से बच्चों के लिए आर्थिक सहायता की मांग की है, ताकि उनके पालन-पोषण में कुछ मदद मिल सके। मेवात के लोग इस घटना से इतने आहत हैं कि हर कोई इस दुख को बयां करने में असमर्थ है।

गांव में अंतिम विदाई और अनुत्तरित सवाल

सोमवार को दोनों युवकों की लाशें उनके गांव लाई गईं। गांव वालों की आंखें नम थीं, जब इकराम और मौसम को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। लेकिन इस अंतिम विदाई के साथ कई सवाल अब भी हवा में तैर रहे हैं। आखिर इन युवकों की मौत का जिम्मेदार कौन है? क्या यह हादसा था या हत्या? पुलिस की चुप्पी और जांच में देरी ने परिजनों का गुस्सा और बढ़ा दिया है।

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समाज में बढ़ती असुरक्षा का डर

यह घटना केवल दो परिवारों की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज में बढ़ती असुरक्षा का प्रतीक है। मेहनतकश लोग जो अपने परिवार के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, उनकी जिंदगी इस तरह खत्म हो जाना हर किसी को सोचने पर मजबूर करता है। मेवात के लोग अब सरकार से न केवल न्याय की मांग कर रहे हैं, बल्कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की भी अपील कर रहे हैं।

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