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National Herald Case : ED की चार्जशीट से हिला कांग्रेस का गढ़ – सोनिया, राहुल और सैम पित्रोदा पर शिकंजा

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National Herald Case : नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी और ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के खिलाफ दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दायर की है।

इस मामले में सुमन दुबे सहित अन्य व्यक्तियों के नाम भी शामिल हैं। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 25 अप्रैल 2025 की तारीख तय की है। यह मामला न केवल कांग्रेस पार्टी के लिए बल्कि भारतीय राजनीति के लिए भी एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। आइए, इस विवाद की गहराई में उतरकर समझते हैं कि आखिर माजरा क्या है।

नेशनल हेराल्ड का इतिहास और विवाद की जड़

नेशनल हेराल्ड की नींव 1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर रखी थी। यह अखबार स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक रहा, जिसे एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) संचालित करती थी। लेकिन 2011 में कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी का नियंत्रण अपने हाथों में लिया, जब एजेएल पर 90 करोड़ रुपये का कर्ज था।

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आरोप है कि कांग्रेस ने यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआईएल) नामक कंपनी बनाकर एजेएल की संपत्तियों पर कब्जा किया। दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस, जिसकी कीमत करीब 2,000 करोड़ रुपये आंकी जाती है, इस विवाद का केंद्र बिंदु है।

यंग इंडियन और शेयरों का खेल

2010 में स्थापित यंग इंडियन कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38% हिस्सेदारी थी, जबकि शेष 24% हिस्सा ऑस्कर फर्नांडीज, मोतीलाल वोरा, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के पास था। ईडी का दावा है कि एजेएल के 99% शेयर यंग इंडियन को हस्तांतरित किए गए, जिनकी कीमत 10 करोड़ रुपये प्रति शेयर थी।

बदले में, कांग्रेस ने एजेएल का 90 करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया। इस तरह, यंग इंडियन को एजेएल की संपत्तियां लगभग मुफ्त में मिल गईं। ईडी ने इसे 988 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताया है, जिसमें दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में एजेएल की 661.69 करोड़ रुपये की संपत्तियां शामिल हैं।

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बीजेपी नेता की याचिका और जांच की शुरुआत

इस मामले की शुरुआत 2012 में हुई, जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की। स्वामी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने यंग इंडियन के जरिए एजेएल की संपत्तियों को गलत तरीके से हड़पने की कोशिश की। उनकी याचिका के बाद 2021 में ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की। जांच में वित्तीय अनियमितताओं के कई सबूत सामने आए, जिसके आधार पर चार्जशीट दायर की गई है। स्वामी का दावा है कि यंग इंडियन ने मात्र 50 लाख रुपये में एजेएल की अरबों की संपत्तियां हासिल कीं।

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कांग्रेस का जवाब: सियासी साजिश का आरोप

कांग्रेस ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पार्टी का कहना है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है ताकि अपनी नाकामियों को छिपाया जा सके। कांग्रेस का दावा है कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य नेशनल हेराल्ड को पुनर्जनन देना था। पार्टी ने इसे सियासी साजिश करार देते हुए कहा कि यह मामला बीजेपी की बदले की राजनीति का हिस्सा है।

आगे क्या?

नेशनल हेराल्ड मामला अब कोर्ट में है, और 25 अप्रैल को होने वाली सुनवाई इसकी दिशा तय करेगी। यह मामला न केवल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के लिए चुनौती है, बल्कि भारतीय राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही के सवाल भी उठाता है। क्या यह वास्तव में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है या सियासी प्रतिशोध का हथियार? इसका जवाब समय और कोर्ट के फैसले से मिलेगा।

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