Cheque Bounce Rules : चेक एक सुरक्षित और सुविधाजनक वित्तीय साधन है, जिसका उपयोग पेमेंट के लिए किया जाता है। लेकिन अगर किसी कारण से बैंक चेक को स्वीकार करने से इनकार कर दे, तो इसे “चेक बाउंस” कहा जाता है। यह आमतौर पर तब होता है जब जारीकर्ता के खाते में पर्याप्त राशि नहीं होती, चेक पर साइन का मिलान नहीं होता या फिर तकनीकी कारणों से बैंक उसे अस्वीकार कर देता है।
चेक बाउंस होने पर क्या-क्या हो सकता है?
अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। बैंक पेनल्टी वसूल सकता है, सिबिल स्कोर खराब हो सकता है, और जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। यदि किसी को चेक जारी किया गया है और वह बाउंस हो जाता है, तो उसे एक महीने के भीतर भुगतान करना अनिवार्य होता है। यदि ऐसा नहीं होता, तो चेक प्राप्त करने वाला व्यक्ति लीगल नोटिस भेज सकता है।
अगर नोटिस के बावजूद 15 दिनों तक भुगतान नहीं किया जाता, तो Negotiable Instrument Act, 1881 की धारा 138 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जो काफी गंभीर हो सकती है।
चेक बाउंस पर कितनी पेनल्टी लगती है?
हर बैंक अपनी अलग पेनल्टी चार्ज करता है, जो आमतौर पर ₹200 से लेकर ₹1,000 तक हो सकता है। उदाहरण के लिए, ICICI Bank में अगर चेक बाउंस होता है, तो ग्राहकों को ₹750 तक का चार्ज देना पड़ सकता है। यदि किसी महीने में दो बार चेक बाउंस होता है, तो अतिरिक्त ₹50 तक की पेनल्टी भी लग सकती है।
कानूनी सजा: जेल भी हो सकती है
अगर चेक बाउंस का मामला गंभीर होता है और कोर्ट में चला जाता है, तो दो साल तक की जेल या भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, कोर्ट चेक की राशि पर ब्याज जोड़कर भुगतान करने का आदेश भी दे सकता है।
कैसे बचें चेक बाउंस की परेशानी से?
- खाते में पर्याप्त बैलेंस रखें – चेक जारी करने से पहले हमेशा यह सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त राशि उपलब्ध हो।
- सही साइन करें – गलत हस्ताक्षर से भी चेक बाउंस हो सकता है, इसलिए साइन को हमेशा सही तरीके से करें।
- डेट और अमाउंट ध्यान से भरें – गलत जानकारी देने से भी बैंक चेक अस्वीकार कर सकता है।
- समय पर भुगतान करें – अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तो तुरंत समाधान निकालें और तय समय में भुगतान करें।