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Poetry
संजीव-नी : धन बल कुछ काम न आएगा
धन बल कुछ काम न आएगा,
न रखोगे संयम सब चला जायेगा,
ऋषि मुनि बड़े बूढ़े कह गए,
आत्मबल,विवेक से ही चलेगा,
करोना से दूर दूर रहो इतना,
बुराइयों से नफरत करते जितना,
ज्ञानियों ने कहा योग,तप उपवास,
ये मानव अश्त्र है अति खास,
आगे कई दिन…
शिक्षक दिवस पर विशेष कविता :- शिक्षक वही कहाते हैं
नव करते निर्माण देश का,शिक्षक वही कहाते है।
अंधकार अज्ञान मिटा कर ,ज्योति पुंज बन जाते हैं
संस्कार का बोध करा कर,उज्वल हृद अरु भाग्य किये ।
कच्ची मिट्टी सम गढ़ मन को,नवल रूप आकार दिए ।
धर्म और कर्तव्य मार्ग पर,शिक्षक हमें चलाते हैं ।…
कविता अध्यापक दिवस विशेष :- कोरोना काल और शिक्षक
कोरोना काल में घर में बंद होकर।
सबको जिंदगी के अहम सबक याद आए ।।
कोरोना काल में घर में बंद होकर।
सड़कों पर भटकते मजदूर ,
गरीब होने की सजा पा रहे थे।
जिंदगी के अच्छे दिन आएंगे।
यह स्लोगन भी याद आ रहे थे।
कोरोना ने कर दिया..क्या हाल।…
शिक्षक दिवस पर कविता : प्रत्येक गुरु मेरे आदर्श हैं
ज्ञान का दीप 'रूड़जी' ने जलाया
आत्म विश्वास 'महेशजी' ने लाया
उच्च शिखर पर पहुंचाने हेतु
'भंवरलाल' ने हमें भरोसा दिलाया
इनकी पढ़ाई में हमेशा बहुत हर्ष है
आज भी प्रत्येक गुरु मेरे आदर्श हैं
थी जब झिझक बहुत तब 'पूनमचंद' आए…
शिक्षक दिवस पर विशेष कविता :- शिक्षक
प्रणाम उस मानुष तन को,
शिक्षा जिससे हमने हैं पाया।
मातृ-पितृ के बाद,
जिसकी है हम पर छाया
पुनः उनके श्रीचरणों में नमन,
जो शिक्षा दे शिक्षक कहलाएं।
अच्छे बुरे का फर्क बतला
उन्नति का मार्ग हमें दिखलाएं।।
शिक्षक, अध्यापक और गुरु संग,…
शिक्षिका की कलम से…
ज्ञान का दीप जलाना है।
भारत का भविष्य बचाना है।
करके मेहनत बच्चों पर
इनका भाग्य चमकाना है।
मान सम्मान करे सबका
सही आचरण सिखाना है।
हाथ न फैलाये ये कभी
उम्मीद इतना जगाना है।
पढ़ लिखकर कुछ बन जाये
इतना योग्य बनाना है।
बनकर पथ…
विनम्र श्रद्धांजलि
साथ चलता रहा सर्वदा
बनाता गया वह कारवाँ
देश सेवा को तत्पर
छोड़ गया अपना निशाँ।
बुझ गयी है लौ अब
सदा-सदा के लिए
तड़प उठा है भारतवर्ष
भारत रत्न दा के लिए।
देश में पाया ऊँचा पद
भारत का प्रथम नागरिक
उनके कार्यों में सबने देखा
भारत…
कविता : तिरंगा प्यारा
तिरंगा आन में है तिरंगा शान में है
तिरंगा बान में है तिरंगा जान में है
रहे तू आबाद तिरंगा जिन्दाबाद-3
वतन परस्ती की वचन परस्ती की
शपथ परस्ती की तिरंगा दिल में है
रहे तू आबाद तिरंगा जिन्दाबाद-3
गद्दारो को सबक देश भक्तो की कदर
शान से…
कविता : थाम के तिरंगा हाथों में
थाम के तिरंगा अपने हाथों में,
दिल में वो देशभक्ति जगाओ,
देश की खातिर शहीद हो गए,
उनका हरदम आभार जताओl
प्राणों की आहुति दे देश बचाया,
आसमान में ये तिरंगा लहरा पाया,
उन्होंने अपने सीने पर गोली खाई,
अंग्रेजों से जब हमने आजादी पाईl…
कविता : “आंखों के किनारे ठहरा एक आंसू” (शहादत)
आंखों के किनारे ठहरा एक आंसू।
बन गया उसका रक्त पिपासु।
वो कह रहा था माँ भारती मेरा बलिदान मांगती हैं
शत्रु के चंगुल में फंसी दर्द से कराहती है।
बस हरबार वो दहाड़ें मारती हैं
बेटा मुझे बचाले मेरी अस्मिता बचाले तेरी माँ तुझे पुकारती है।…
कविता : आजादी को सहेज कर रखना
बहुत यतन करने के बाद हमें,
मिली है यह बहुमूल्य आजादी।
बच्चा-बच्चा ने किया था प्रयास,
तब आजादी आज हमारे पास।
सत्ता के कुछ लालची लोगों ने,
गोरों की परतंत्रता स्वीकारा था।
जब देशवासियों मालूम हुआ तो,
1857 में गोरों को ललकारा था।…
कविता : पंद्रह अगस्त
१५ अगस्त सन् सैंतालीस को,
दिवस था कैलेंडर में शुक्रवार।
इस दिन स्वतंत्रता मिली हम सबको,
खुला साथ में सपनों का नव-द्वार।।
आजादी के साथ देश ने तो,
बटवारे का दर्द भी झेला है।।
इस स्वतंत्रता दिवस के खातिर,
विदेशियों ने खून की होली हमसे…
लावणी छन्द गीत : मैं पीड़ा गाने आयी हूँ
ओढ़ निराशा का आँचल जो , क्रंदन को मजबूर हुई ।
विवश उसी भारत माता की, व्यथा सुनाने आयी हूँ ।
छंद लिखें कितने कवियों ने, अधर, नयन, मुख, गालों पर ।
रुदन नहीं क्यों लिख पाये वो, रिसे पाँव के छालों पर ।
मौन हुए भारत के जन भी, निर्धन की…
स्वतंत्रता दिवस पर विशेष कविता : सबसे प्यारा तिरंगा हमारा
सबसे प्यारा तिरंगा हमारा
कर रहा वन्दन देश तुम्हारा
अभी पूर्ण स्वाधीन नहीं है हम
स्वार्थ, शोषण पराधीनता है सम
आओ अब बदलते अपने विचार है
सभी को जन-गण-मन स्वीकार है
जन-जन को मातृहित स्वीकार हो जब
हम करें मातृभूमि का सम्मान अब
हर जगह…
कविता : आधुनिक भारत
उठो देश के वीर जवानों
मिलकर अब सब
एक नए भारत का
हम आगाज करते।
खो रही है जो
जन-जन की सत्ता
मिलकर उसको फिर
अपने अधिकार में करते।
लूट रहे है जो
हर पल देश की इस्मत
फाड़ के सीने उनके
अब उनको सरेआम करते हैं।
उठो देश के वीर जवानों…