भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर सख्त कार्रवाई करते हुए हाल ही में प्रतिबंध लगा दिया, जिसके बाद बैंक के बाहर ग्राहकों की भीड़ जमा हो गई। लोग अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित निकालने के लिए घंटों कतार में खड़े रहे।
इस बैंक में ग्राहकों के करोड़ों रुपये जमा हैं, लेकिन आरबीआई के शुरुआती प्रतिबंधों ने निकासी को पूरी तरह रोक दिया था, जिससे लोगों में हड़कंप मच गया। अब केंद्रीय बैंक ने राहत देते हुए प्रति खाताधारक को 25,000 रुपये निकालने की अनुमति दी है, जिससे उपभोक्ताओं को थोड़ी सी सांसत मिली है।
आरबीआई के इस फैसले के बाद गुरुवार सुबह से ही बैंक शाखाओं के बाहर लंबी-लंबी लाइनें देखने को मिलीं। हजारों लोग अपने पैसे निकालने के लिए परेशान दिखे। करीब दो हफ्ते पहले लगाए गए बैन के कारण ग्राहक एक भी रुपया नहीं निकाल पा रहे थे। 13 फरवरी को आरबीआई ने बैंक पर कड़े निर्देश लागू किए थे, जिसमें लेनदेन और निकासी पर पूरी तरह रोक शामिल थी। अब दी गई छूट से हालात कुछ सुधरे हैं, और लोग बैंक शाखाओं या एटीएम से सीमित राशि निकाल पा रहे हैं।
यह राहत इसलिए खास है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि इससे 50% से ज्यादा खाताधारक अपनी पूरी जमा राशि निकाल सकेंगे। बाकी लोग भी 25,000 रुपये तक या अपने खाते में बची राशि, जो भी कम हो, निकाल सकते हैं। आरबीआई ने यह कदम ग्राहकों की नकदी जरूरतों को ध्यान में रखकर उठाया है।
लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह बैन क्यों लगा? दरअसल, न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी का आरोप है। बैंक की क्षमता 10 करोड़ रुपये की थी, लेकिन जांच में कैश बुक में 122.028 करोड़ रुपये दर्ज पाए गए। इस घोटाले की जांच मुंबई पुलिस कर रही है और कई लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं।
आरबीआई का कहना है कि यह कार्रवाई ग्राहकों के हित में उठाई गई है ताकि उनकी जमा राशि को सुरक्षित रखा जा सके। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह के कदम बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता और भरोसा बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। फिलहाल, ग्राहकों को सलाह दी जा रही है कि वे घबराएं नहीं और बैंक से अपडेट लेते रहें।