पीएम मोदी के उत्तराखंड दौरे के बाद सीमांत भारत-चीन बॉर्डर पर सड़कों का जाल बिछने वाला है
चमोली: पीएम मोदी के उत्तराखंड दौरे के बाद भारत-चीन बॉर्डर पर सड़कों का जाल बिछने वाला है। चार धाम और मानसखंड को करीब लाने वाली मिलम- दुंग सुमना मलारी चमोली सड़क के निर्माण कार्य के अब रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आदि कैलास भ्रमण के बाद केन्द्रीय स्तर पर इस सड़क के निर्माण की कवायद तेज हुई है। चीन सीमा से लगे मिलम से लपथल,गढ़वाल में सुमना मलारी चमोली जिले को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण किया जाना है। इसका प्रारंभिक सर्वे कार्य 2020 में कराया गया। 12 अक्तूबर को प्रधानमंत्री मोदी के यहां सार्वजनिक सभा से चारधाम के बाद मानसखंड मंदिर माला मिशन के विकास की घोषणा करने के बाद केन्द्र सरकार के स्तर से इस सड़क के निर्माण के प्रयास तेज होते दिख रहे हैं।
बीआरओ की बीसीसी कंपनी को इस सड़क के विस्तृत सर्वे और निर्माण का जिम्मा दिया गया है। गंगपानी टोपीढुंगा से मिलम के रास्ते समुद्र सतह से 4500 मीटर की ऊंचाई पर होकर यह सड़क गुजरेगी। उच्च हिमालयी क्षेत्र से प्रस्तावित इस सड़क के निर्माण से मुनस्यारी से जोशीमठ की दृरी पहले की तुलना में लगभग 150 किमी कम हो जाएगी।
अभी मुनस्यारी से जोशीमठ जाने के लिए 314 किमी लंबी यात्रा करीब 10 घंटे से अधिक सफर के बाद तय करनी पड़ती है। मिलम से सुमना मलारी चमोली जिले को जोड़ने वाली इस सड़क के बन जाने के बाद जोशीमठ से महज करीब 150 किमी दूरी तय कर चार धाम आने वाले यात्री आसानी से मुनस्यारी पहुंच सकेंगे।
बद्रीनाथ और केदारनाथ जाना भी बेहद सुगम हो जाएगा। इस तरह यह सड़क चारधाम और मानसखंड को करीब लाने के साथ ही आध्यात्मिक पर्यटन के विकास में महत्वपूर्ण साबित होगी। विस्तृत सर्वे के बाद केन्द्र सरकार निर्माण के लिए जल्द ही भारी भरकम बजट जारी कर सकती है।
चीन सीमा से होकर गुजरेगी यह सड़क मुनस्यारी मिलम से चमोली जिले को जोड़ने वाली अधिकतर सड़क चीन सीमा के करीब से होकर गुजरेगी। इस सड़क के निर्माण से भारत की सामारिक ताकत भी मजबूत होगी व गढ़वाल व कुमाउं मंडल की दूरी भी आपस में कम होगी।
उच्च हिमालय में वाहन से सफर का मिलेगा मौका मिलम-लपथल होकर टोपीढुंगा, सुढ़ांग से चमोली जिले को प्रस्तावित सड़क के बनने के बाद लोगों को उच्च हिमालयी क्षेत्र में वाहन से सफर करने का अवसर मिलेगा। इस दौरान रास्ते में हिमालय के मनमोहक स्थल परी ताल आदि देखने को मिलेंगे। लपथल में मिलते हैं शालीग्राम पत्थर लपथल में शालीग्राम पत्थर प्रसिद्ध है। भगवान विष्णु का इन्हें स्वरूप माना जाता है।