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26/11 Attack : 10 घंटे की पूछताछ और तहव्वुर राणा की ज़ुबान खुली, दुबई-पाकिस्तान कनेक्शन का पर्दाफाश

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26/11 Attack : 26/11 का मुंबई आतंकी हमला भारत के इतिहास में एक काला अध्याय है, जिसने न केवल देश को हिलाकर रख दिया, बल्कि पूरी दुनिया को आतंकवाद के खौफनाक चेहरे से रूबरू कराया। इस हमले का मास्टरमाइंड माना जाने वाला तहव्वुर राणा हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में है। शनिवार को करीब 10 घंटे की गहन पूछताछ में राणा ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए, जिन्होंने इस जघन्य अपराध की परतें खोल दीं। आइए, जानते हैं कि राणा ने क्या-क्या बताया और यह जांच हमें कहां ले जा रही है।

तहव्वुर राणा की हिरासत और पूछताछ की शुरुआत

पाकिस्तान में जन्मा और कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा पिछले 18 दिनों से एनआईए की हिरासत में है। इन दो दिनों में उसने कई अहम जानकारियां साझा की हैं, जो मुंबई हमले की साजिश को और गहराई से समझने में मदद कर रही हैं। राणा ने एक रहस्यमयी “दुबई मैन” का जिक्र किया, जिसे इस आतंकी हमले की पूरी जानकारी थी।

इसके अलावा, एक महिला का नाम भी सामने आया, जो राणा के साथ मुंबई की रेकी के दौरान थी और जिसे उसने अपनी पत्नी बताया था। एनआईए अब इस महिला की भूमिका और राणा के दावों की सत्यता की जांच कर रही है।

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आतंकी नेटवर्क और साजिद मीर का कनेक्शन

पूछताछ के दौरान राणा ने बताया कि वह वैश्विक आतंकी साजिद मीर के लगातार संपर्क में था। साजिद मीर को भी 26/11 हमले का एक प्रमुख साजिशकर्ता माना जाता है। राणा ने यह भी स्वीकार किया कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मीटिंग्स के लिए नियमित रूप से पाकिस्तान जाता था।

उसने एक ऐसे व्यक्ति का जिक्र किया, जो दुबई में रहता था और आतंकी साजिश के लिए फाइनेंसिंग और लॉजिस्टिक्स का इंतजाम करता था। एनआईए को शक है कि यह “दुबई मैन” पाकिस्तान और दुबई के बीच आतंकी नेटवर्क का अहम कड़ी हो सकता है।

मुंबई में रेकी और इमिग्रेशन सेंटर की आड़

राणा ने खुलासा किया कि उसने मुंबई में एक इमिग्रेशन लॉ सेंटर की आड़ में आतंकी साजिश को अंजाम देने की योजना बनाई थी। इस सेंटर के लिए फंडिंग का स्रोत भी जांच का विषय है। राणा और उसके साथी डेविड कोलमैन हेडली ने 2006 से 2009 के बीच इस सेंटर का इस्तेमाल मुंबई की रेकी के लिए किया।

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राणा ने बताया कि हेडली के साथ उसकी 231 बार बातचीत हुई, जिसमें हमले की योजना को अंतिम रूप दिया गया। हमले से महज पांच दिन पहले दोनों मुंबई में मौजूद थे, जहां उन्होंने फोटो और वीडियो के जरिए महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र की थी।

हेडली के साथ साजिश की बारीकियां

राणा ने पूछताछ में हेडली के साथ अपनी गतिविधियों का जिक्र करते हुए बताया कि 2006 में हेडली ने मुंबई में एक अपार्टमेंट किराए पर लिया था। इमिग्रेशन सेंटर के लिए एक ऑफिस स्थापित किया गया, एक सेक्रेटरी नियुक्त की गई, और समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर पर्चे छपवाए गए।

यह सब आतंकी साजिश को सामान्य कारोबारी गतिविधि का जामा पहनाने के लिए किया गया था। राणा और हेडली ने मिलकर लश्कर-ए-तैयबा, पाकिस्तानी सेना, और आईएसआई के एजेंटों के साथ मिलकर इस हमले को अंजाम दिया, जिसमें 166 लोगों की जान गई और 238 लोग घायल हुए।

जांच का अगला कदम

एनआईए अब राणा के खुलासों की सत्यता को परखने के लिए एक गवाह से उसका आमना-सामना कराने की योजना बना रही है। इसके अलावा, राणा के ईमेल और पाकिस्तान में हुई बैठकों की डिटेल्स को भी खंगाला जा रहा है। जांच एजेंसी यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या राणा का नेटवर्क अब भी सक्रिय है और क्या भविष्य में कोई और खतरा सामने आ सकता है। यह जांच न केवल मुंबई हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूत करने का एक मौका भी है।

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एक सबक और उम्मीद

मुंबई आतंकी हमला हमें याद दिलाता है कि आतंकवाद का कोई धर्म या सीमा नहीं होती। तहव्वुर राणा जैसे लोग न केवल कानून के दायरे में लाए जाने चाहिए, बल्कि उनके नेटवर्क को भी पूरी तरह से खत्म करना जरूरी है। यह जांच हमें उम्मीद देती है कि सच्चाई सामने आएगी और पीड़ितों को इंसाफ मिलेगा। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपने देश को सुरक्षित रखने में योगदान दें और ऐसी ताकतों के खिलाफ एकजुट रहें।

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